नई दिल्ली, बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरू हुए विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया और इसमें 150 लोगों की मौत हो गई। मंगलवार को बांग्लादेश में 150 लोगों की मौत पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया। आपको बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण संशोधन आंदोलन के छह समन्वयकों की बिना शर्त रिहाई की भी मांग हो रही है।
बांग्लादेश सरकार ने पहली बार दी मौतों की जानकारी
इससे पहले सोमवार को बांग्लादेश की सरकार ने पहली बार इस बात की जानकारी दी कि आरक्षण में संशोधन मांग को लेकर उपजी हिंसा में 150 लोगों की मौत हुई है। मंगलवार को इस हिंसा में मारे गए लोगों की याद में बांग्लादेश में राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया। इस दौरान देशभर के मंदिरों, मस्जिदों और गिरिजाघरों में लोगों ने प्रार्थना के दौरान काली पट्टियां बांधीं।
आंदोलन के दौरान सरकारी संपत्ति को भी हुआ नुकसान
बांग्लादेश के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से आरक्षण में संशोधन की मांग को लेकर आंदोलन की शुरूआत हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में इस आंदोलन की चर्चा होने लगी। इस बीच आंदोलनरत छात्रों और संगठनों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की नीतियों के विरोध में भी प्रदर्शन किया। इसके बाद इस आंदोलन को रोकने के लिए बांग्लादेश सरकार को सेना को तैनात करना पड़ा। इस हिंसा के बीच कई आंदोलनकारियों समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इसके अलावा कई सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा था।
मंगलवार को रखा गया राष्ट्रीय शोक
इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस हिंसा के दौरान 180 से अधिक लोगों की मौत हुई है, जबकि बांग्लादेश सरकार का कहना है कि कुल 150 लोगों की मौत हुई है। सोमवार को बांग्लादेश के कैबिनेट मंत्री मेहबूब होसैन ने सरकार के फैसले के बारे में जनता को जानकारी दी थी। उन्होंने देश में एक दिन के शोक का एलान करते हुए जनता से अनुरोध किया था कि शोक दिवस के दिन काली पट्टी धारण करें। उधर मंगलवार को कई नागरिक समुदायों के सदस्यों ने सरकार से मांग की है कि जेल में बंद किए गए आंदोलन समन्वयकों की बिना शर्त रिहाई की जाए।