राम मंदिर ज़मीन खरीद विवाद में रामजन्मभूमि थाने में दी गईं 4 अलग-अलग तहरीर

लखनऊ, अयोध्या में राम मंदिर जमीन खरीद फरोख्त का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा और एक फिर यह मामला सामने आया है. आम आदमी पार्टी के बाद अब राम मंदिर के पक्षकार ने रामजन्मभूमि थाने में 4 अलग-अलग तहरीर दी है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर सबसे पहला आरोप लगा दो करोड़ की जमीन साढ़े 26 करोड़ में खरीदने को लेकर. उसके बाद अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे दीपनारायण उपाध्याय द्वारा खरीदी गई 20 लाख की जमीन राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा ढाई करोड़ में खरीदने को लेकर. अब सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्षकार निर्मोही अनी अखाड़ा के महंत धर्मदास ने ऐसी ही 4 सरकारी जमीन राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा खरीदने, रामभक्तों को धोखा देने, धोखाधड़ी और कूटरचना करने को लेकर सीधे तौर पर राम मंदिर ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों को जिम्मेदार ठहराते हुए अयोध्या के रामजन्मभूमि थाने में 4 अलग-अलग तहरीर दी है।

हालांकि अभी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी का कहना है कि हमने जमीन का पैसा दिया है. अगर जमीन नजूल की है तो नजूल विभाग में शिकायत करें. पुलिस में शिकायत क्यों कर रहे हैं और इसमें बंदरबाट जैसी बात कहां है।

दरअसल, सबसे पहले रामजन्मभूमि ट्रस्ट पर जो पहला आरोप लगा वह 2 करोड़ को जमीन साढ़े 26 करोड़ में खरीदने को लेकर था. साल 2011 में यह जमीन 1 करोड़ रुपये में इरफान अंसारी, हरीश पाठक और उनकी पत्नी कुसुम पाठक के नाम एग्रीमेंट की गई थी जिसे 2017 में हरीश पाठक और कुसुम पाठक ने दो करोड़ रुपये में खरीद लिया था।

जमीन खरीदने के 2 साल बाद 2019 में इसी जमीन को हरीश पाठक और कुसुम पाठक ने इरफान अंसारी के बेटे सुल्तान अंसारी समेत 9 लोगों को दो करोड़ में एग्रीमेंट कर दिया था जिसे 18 मार्च 2021 को राम मंदिर ट्रस्ट को बेच दिया गया. राम मंदिर ट्रस्ट ने आगे की आधी कीमती जमीन सीधे हरीश पाठक से 8 करोड़ रुपये में खरीदी और आधी पीछे की जमीन सुल्तान अंसारी और जमीन के एग्रीमेन्ट में शामिल नहीं रहे रवि मोहन तिवारी से साढ़े 18 करोड़ में खरीदी।

 

आरोपों में आने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इस जमीन को 5 मिनट पहले सुल्तान अंसारी और रवि तिवारी ने हरीश पाठक से दो करोड़ में खरीदा था और इसमें ट्रस्ट के सदस्य और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय वतौर गवाह थे यानी ट्रस्ट को पहले से मालूम था कि यह जमीन 5 मिनट पहले 2 करोड़ में खरीदी गई जिसको वह साढ़े 18 करोड़ में खरीद रहे हैं. इस तरह दो करोड़ की पूरी जमीन ट्रस्ट मे साढ़े 26 करोड़ में खरीदी.

अब राम मंदिर से 300 मीटर दूर रामकोट के गाटा संख्या 135 और 136 में जो 4 जमीन राम मंदिर ट्रस्ट ने खरीदी. उसमें पहली जमीन जिसको लेकर ट्रस्ट पर एक बार फिर आरोप लगा. वह कुछ महीने पहले अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे दीप नारायण उपाध्याय ने महंत देवेंद्र प्रसादचार्य से 20 लाख रुपये में खरीदी और राम जन्मभूमि ट्रस्ट को ढाई करोड़ रुपये में बेच दी जबकि यह जमीन राजस्व अभिलेख में नजूल यानी सरकारी जमीन के तौर पर दर्ज है, यही वजह रही कि सरकारी जमीन वह भी 20 लाख में खरीदी गई जमीन ढाई करोड़ में खरीदने को लेकर ट्रस्ट पर आरोप लगा।

राम मंदिर के पक्षकार रहे निर्मोही अखाड़े के महंत धर्मदास ने अब इस जमीन समेत जो 4 जमीन जिसके राम मंदिर ट्रस्ट ने खरीदा है जिसका गाटा संख्या 135 और 136 है, उन सभी जमीनों को नजूल यानी सरकारी भूमि बताया है और इस पूरी खरीद-फरोख्त को धांधली, कूटरचना, और रामभक्तों के पैसे को बंदरबाट करार देते हुए राम जन्मभूमि थाने में 4 अलग-अलग तहरीर दी हैं।

महंत धर्मदास (महंत निर्मोही अनी भाखड़ा पूर्व पक्षकार राम मंदिर) कहते हैं कि हम अयोध्या हनुमानगढ़ी में रहते हैं. हमारा नाम है महंत धर्मदास. मैं अनी अखाड़े का महंत हूं. हमारा जो एफआईआर है जो भगवान के नाम से चंदा से जो पैसा आया अब उसको ये लोग बंदरबांट किए हैं. उसमें बंदरबांट के जिसमें जो नजूल की जमीन इन लोगों ने असली समझ करके उसको रजिस्ट्री कराया और उसमें हेराफेरी हो सके. वह नजूल की जमीन है इसलिए हमने एफआईआर कराई है. राम जन्मभूमि में कोतवाल साहब से बात हुई है वह किसी कार्य पर हैं और उन्होंने कहा है कि हम उसको दर्ज कर लेंगे. उन्होंने आश्वासन दिया है और हमने एफआईआर कराई है।

वहीं, राम मंदिर ट्रस्ट की मानें तो ट्रस्ट ने पैसा अकाउंट से दिया है. उसका पैसा दिया है. पैसे का बंदरबाट कैसे हुआ है. अगर जमीन नजूल यानी सरकारी है तो गलत है इसकी नजूल विभाग में शिकायत करें न कि पुलिस थाने में।

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