उत्तर प्रदेश में देर रात ट्रांसफर हुए 7 आईपीएस अफसर , चार जिलों के एसपी भी बदले

लखनऊ, यूपी में आईपीएस अधिकारियों के तबादले का सिलसिला जारी है. गुरुवार रात शासन ने 7 और आईपीएस अफसर ट्रांसफर कर दिए. हालांकि, गोरखपुर में पुलिस की पिटाई से कानपुर  के युवक की मौत के मामले में वहां के एसएसपी के खिलाफ कार्यवाही की मांग के बावजूद उनकी कुर्सी सुरक्षित रखी गई. विधानसभा चुनाव से पहले आईएएस, आईपीएस के साथ ही पीसीएस अफसरों के ताबड़तोड़ तबादले किए जा रहे हैं. पिछले एक महीने में यूपी में कई आईएएस के साथ ही रायबरेली, बहराइच और गोंडा समेत कई जिलों के 66 वरिष्ठ पीसीएस अफसरों के भी तबादले हुए थे. इसी के साथ कई आईपीएस और पीपीएस अफसरों को भी इधर से उधर किया गया है।

रेलवे के डीआईजी धर्मेंद्र सिंह को रूल्स एंड मैनुएल्स का डीआईजी बनाया गया है. राम बदन सिंह को भदोही पुलिस अधीक्षक से गाजीपुर पुलिस अधीक्षक बनाकर भेजा गया है. कानपुर कमिश्नरेट में बतौर अपर पुलिस उपायुक्त तैनात अनिल कुमार द्वितीय को भदोही का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है. डीजीपी मुख्यालय में तैनात अभिषेक वर्मा को औरैया का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है. बदायूं के एसएसपी संकल्प शर्मा को कानपुर कमिश्नरेट में डीसीपी बनाया गया है. औरैया की एसपी सुश्री अपर्णा गौतम को डीजीपी मुख्यालय भेजा गया है. गाजीपुर एसपी डॉक्टर ओपी सिंह को बदायूं का एसपी बनाया गया है।

यूपी पुलिस विधानसभा चुनाव से पहले सरकार की साख पर लगातार बट्टा लगाने पर तुली है. सरकार बनते ही राजधानी लखनऊ में पुलिस के एक सिपाही ने गोमतीनगर विस्तार इलाके में एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी तो अब जब चुनाव का माहौल है, गोरखपुर में रामगढ़ताल थाना की पुलिस ने एक होटल में ठहरे कानपुर के युवक मनीष गुप्ता को पीट पीट कर मार डाला. मुख्यमंत्री की सख्ती भी किसी तरह पुलिस की हरकतों पर लगाम नहीं कस पा रही है. बीते दिनों ही मुख्यमंत्री ने दागी, अनुशासनहीन और भ्रष्टाचारी पुलिसकर्मियों की सूची बनाने के निर्देश दिए थे. इससे पहले मुख्यमंत्री अमिताभ ठाकुर समेत 3 आईपीएस अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति भी दिला चुके हैं. इसके बावजूद पुलिस के हालात जस के तस हैं।

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