वक़्फ़ कानून की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले मोदी सरकार ने अधिसूचना जारी कर लागू किया कानून

नई दिल्ली: पिछले सप्ताह संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम मंगलवार से लागू हो गया। सरकार ने एक अधिसूचना में यह जानकारी दी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया, ”वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की धारा 1 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने आठ अप्रैल, 2025 से उक्त अधिनियम के प्रावधान लागू किए हैं।’ लोकसभा और राज्यसभा ने क्रमशः तीन अप्रैल और चार अप्रैल की मध्य रात्रि के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित किया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पांच अप्रैल को प्रस्तावित कानून को अपनी मंजूरी दे दी थी।

भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने विधेयक का समर्थन किया, वहीं विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन ने इसका विरोध किया। कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी सांसदों ने कानून के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सत्तारूढ़ गठबंधन ने इसे पारदर्शिता बढ़ाने और पिछड़े मुसलमानों एवं समुदाय की महिलाओं के लिए सशक्तीकरण का कदम बताया है। वहीं, विपक्ष ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम मुसलमानों के अधिकारों का हनन करता है।

सुप्रीम कोर्ट रद्द कर सकता है वक्फ एक्ट?

इस आसान सवाल का जवाब बहुत आसान है। बेशक सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून को निरस्त कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के पास यह शक्ति है। लेकिन समझने वाली बात यह है कि ऐसी स्थिति तभी पैदा होगी जब यह साबित हो जाए कि संविधान को चुनौती दी गई है, कोई कानून भारतीय संविधान के मूल को चुनौती दे रहा है। अगर ऐसा पाया जाता है तो सुप्रीम कोर्ट जरूर हस्तक्षेप करेगा और कानून को निरस्त भी कर सकता है। ऐसा हुआ तो यह बीजेपी सरकार के लिए बड़ा झटका होगा!

वक्फ एक्ट संविधान को चैंलेंज कर रहा है?

अब विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह कैसे साबित करे कि वक्फ एक्ट संविधान को चुनौती देता है। दरअसल, विपक्ष की याचिका का आधार संविधान का अनुच्छेद 32 है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अनुच्छेद 32 कहता है कि अगर किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो उस स्थिति में वह सुप्रीम कोर्ट जा सकता है, वहां से उसे राहत मिल सकती है। अनुच्छेद 32 ही सुप्रीम कोर्ट को किसी के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए आदेश जारी करने और निर्देश देने की शक्ति देता है।

वक्फ एक्ट पर क्या हैं विपक्षी दलों के तर्क

अब वक्फ एक्ट को लेकर विपक्ष के तर्कों को समझते हैं। विपक्ष का पहला तर्क यह है कि यह कानून मुस्लिम लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करता है। यहां तक ​​कहा गया है कि बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के आने से उनके अधिकार भी छिन जाएंगे। अब अगर सुप्रीम कोर्ट इससे सहमत होता है तो सरकार की परेशानी बढ़ जाएगी।

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