बच्चों में पोलियो जैसी बीमारी एक्यूट प्लेसिड म्येलिटिस के फैलने की आशंका, जानिए लक्षण और इलाज

नई दिल्ली, कुछ महीनों में पोलियो जैसी बीमारी एक्यूट प्लेसिड म्येलिटिस के फैलने की आशंका सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने दी जानकारी सभी को सतर्क रहने की सलाह

कोरोना वायरस महामारी के बीच अमेरिका में परिजनों और स्वास्थ्यकर्मियों को अगले कुछ महीनों में पोलियो जैसी बीमारी एक्यूट प्लेसिड म्येलिटिस  की चेतावनी दी गई है।

सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने एक रिलीज जारी कर यह जानकारी दी।

 

एक्यूट फ्लेसीड मेलिटस (एएफएम) एक असामान्य लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी के क्षेत्र को ग्रे मैटर कहा जाता है, जिससे शरीर में मांसपेशियां और सजगता कमजोर हो जाती है। अमेरिका में 2014, 2016 और 2018 में AFM मामलों में वृद्धि हुई है।

 

रिलीज में यह कहा गया है कि अगस्त से नवंबर के बीच अचानक अंग में कमजोरी पर पैरेंट्स और डॉक्टरों को संदिग्ध (एएफएम) मरीजों के तौर पर देखना चाहिए। हाल में सांस की तकलीफ या बुखार और गले या पीठ में दर्द या अन्य न्यूरो के लक्षण उनकी चिताएं बढ़ा सकती हैं।

सीडीसी की रिलीज में आगे बताया गया है कि एएफएम एक मेडिकल इमरजेंसी है और मरीजों की फौरन स्वास्थ्य देखभाल होनी चाहिए, यहां तक कि उन इलाकों में भी जहां पर काफी कोरोना वायरस के मामले हैं।

सोशल डिस्टेंसिंग के चलते इस साल कोरोना की एक और लहर में देरी हो सकती है और ऐसी स्थिति में एएफएम के मामले उम्मीद से ज्यादा बढ़ सकते हैं।

इसमें आगे बताया गया कि साल 2014 के बाद से हर दो वर्षों में न्यूरोलॉजिकल बीमारी के कारण पैरालिसिस के मामले सामने आए हैं। 2018 में सबसे बड़ा प्रकोप 42 राज्यों में आया 239 लोगों को बीमार किया है, जिनमें से लगभग 95 प्रतिशत बच्चे हैं।

सीडीसी के बयान में कहा गया है कि इमरजेंसी डिपार्टमेंट में पैडियाट्रिसियन्स और फ्रंटलाइन प्रोवाइडर्स और अर्जेंट केयर्स को एएफएम की फौरन पहचान करने के लिए तैयार रहना चाहिए और तुरंत मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। उस वक्त हर एक कदम पर समय काफी महत्वपूर्ण है, लिहाजा फौरन एएफएम की पहचान से जल्द उसका उपचार संभव हो पाएगा।

जबकि बीमारी का कोई इलाज या उपचार नहीं है, सीडीसी के अनुसार, शुरुआती निदान लक्षणों के इलाज के उपायों की प्रभावशीलता को बढ़ाता है, जिसमें पीड़ितों को लकवाग्रस्त हाथ और पैर का उपयोग करने में मदद करने के लिए भौतिक चिकित्सा भी शामिल है।

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