लखनऊ, उत्तर प्रदेश में ग्राम सभा की भूमि का भौतिक सत्यापन करने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की गई है। चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने शनिवार को इस बारे में आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार चकबंदी अधिकारी तथा संबंधित तहसील के तहसीलदार संयुक्त रूप से हर तीन माह में एक बार और साल में तीन बार ऐसा भौतिक सत्यापन करेंगे।
बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी तथा संबंधित तहसील के उप जिलाधिकारी संयुक्त रूप से हर छह माह में एक बार और साल में दो बार भौतिक सत्यापन करेंगे।
जिलाधिकारी व जिला उपसंचालक चकबंदी साल में एक बार भौतिक सत्यापन करेंगे। यह सभी अधिकारी समय सारिणी में अंकित प्राधिकारी भौतिक सत्यापन रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप पर निदेशालय को भेजेंगे।
इस आदेश में कहा गया है कि प्राय: यह देखा गया है कि चकबंदी प्रसार के ग्रामों में चकबंदी प्रारम्भ होते समय जो भूमि ग्राम सभा के खाते में निहित होती है, वह पहले से ही अतिक्रमित होती है। इसके अलावा चकबंदी के दौरान भी ग्राम सभा की भूमि को अनियमित रूप से खरीद फरोख्त कर चकों में बांट दिया जाता है। मगर इसके सापेक्ष ग्राम सभा का चक नहीं बनाया जाता है अथवा ग्राम सभा को कोई भूमि नहीं दी जाती है। चकबंदी के दौरान एक लम्बे अंतराल तक चकबंदी क्रियाएं जारी रहने के कारण ग्राम सभा की भूमि पर अवैध आदेशों के जरिये कतिपय दबंग व्यक्तियों द्वारा अतिक्रमण किए जाने से भी ग्राम सभा भूमि की अपूर्णनीय क्षति होती है। अब नई व्यवस्था में उपरोक्त अधिकारी ग्राम सभा की भूमि का भौतिक सत्यापन कर यह रिपोर्ट देंगे कि अतिक्रमित भूमि कितनी है, रिक्त भूमि कितनी है।