लखनऊ, उत्तर प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में अभी काफी बड़ी संख्या में खाद्य कारोबार से जुड़े लोगों ने पंजीकरण या लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है। मगर यह लोग कारोबार कर रहे हैं। मगर अब खाद्य पदार्थों का कारोबार करने वाले सभी लोगों को पंजीकरण या लाइसेंस लेना होगा।
इसके लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग पूरे प्रदेश में अभियान चलाएगा। खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने इस संबंध में सभी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश में फिलहाल सक्रिय खाद्य लाइसेंस 1 लाख 16 हजार 677 हैं। जबकि सक्रिय खाद्य पंजीकरण 7 लाख 44 हजार 684 हैं।
यूपी की बात करें तो यहां हर महीने खाने-खिलाने का कारोबार अरबों रुपये का है। लाखों की संख्या में लोग इस कारोबार से जुड़े हैं। मगर उस लिहाज से प्रदेश में खाद्य कारोबारियों के पंजीकरण या लाइसेंस काफी कम हैं। दरअसल 12 लाख तक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती। उन्हें सिर्फ पंजीकरण कराना होता है जबकि 12 लाख से लेकर 30 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वालों को विभाग से लाइसेंस लेना होता है। इससे अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों को लाइसेंस केंद्रीय स्तर (एफएसएसएआई द्वारा) प्रदान किया जाता है।
मुख्य सचिव ने प्रदेश में खाद्य कारोबारियों के पंजीकरण व लाइसेंस की संख्या कम होने पर चिंता जताते हुए अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसे लेकर विभाग की अपर आयुक्त रेखा एस. चौहान ने सभी जिला व मंडल स्तरीय अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए इसके लिए अभियान शुरू करने के निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने वस्तु एवं सेवाकर विभाग (जीएसटी) से खाद्य कारोबार करने वालों की सूची प्राप्त की है। इसे जिलों को भेजा जा रहा है। वहीं खाद्य सुरक्षा आयुक्त राजेश यादव ने इस संबंध में जारी आदेश में कहा है कि पंजीकरण और लाइसेंस को लेकर सघन अभियान चलाया जाए। मंडल स्तर पर 15 दिन में और प्रदेश स्तर पर मासिक समीक्षा की जाएगी। अपेक्षित परिणाम न देने वालों के खिलाफ कार्यवाही होगी।