



बीजिंग, चीन की सरकार की तख्तापलट की आशंका के बीच कई चीनी अधिकारियों को मौत की सजा मिलने की खबर आई है। चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अधिकार को चुनौती देने के आरोपी एक वरिष्ठ पूर्व चीनी सुरक्षा अधिकारी को शुक्रवार को एक प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व कांग्रेस से कुछ हफ्ते पहले आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
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साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट ने चीन में दो पूर्व मंत्रियों को मौत की सजा भी सुनाई गई है। चीनी अधिकारियों और मंत्रियों को मौत और उम्र कैद की सजा उस वक्त सुनाई गई है, जब कई रिपोर्ट्स में आशंका जताई गई है, कि शी जिनपिंग का तख्तापलट कर दिया गया है।
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साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सन लिजुन, जो चीन की सरकार में सार्वजनिक सुरक्षा के उप मंत्री थे, उन्हें दो साल पहले मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन अब उन्हें राहत देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और कोर्ट ने कहा है कि, सजा को उम्रकैद में बदला जा सकता है लेकिन बिना किसी कमी या पैरोल के। यानि, उन्हें फांसी की सजा तो अब नहीं मिलेगी, लेकिन उन्हें एक दिन के लिए भी जेल से बाहर नहीं निकाला जाएगा। सन लिजुन पर दो दशकों में करीब 100 मिलियन डॉलर रिश्वत लेने और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था और आरोप में कहा गया था, कि उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सुरक्षा को खतरे में डालने का गंभीर अपराध किया है।
हालांकि, रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है, कि उन्होंने शी जिनपिंग के सत्तावादी विचार को चुनौती देने की कोशिश की थी और संविधान परिवर्तन का विरोध किया था, जिसके मुताबिक चीन में एक शख्स लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। सन लिजुन के साथ ही गुरुवार को पूर्व न्याय मंत्री फू झेंघुआ को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
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चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2020 की शुरुआत में सन लिजुन को वुहान में कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए प्रारंभिक प्रतिक्रिया की निगरानी के लिए भेजा गया था। बाद में उन पर “COVID-19 महामारी से लड़ने की अग्रिम पंक्ति में अपने पद को छोड़ने” और “बिना प्राधिकरण के जानकारी के गोपनीय सामग्री रखने” का आरोप लगाया गया। वहीं, पिछले साल पार्टी से उनके निष्कासन के समय, केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग ने उन पर “कभी भी पार्टी के आदर्शों और विश्वास के प्रति सच्चे नहीं रहने” और “बेहद बढ़ी हुई राजनीतिक महत्वाकांक्षा और बहुत खराब राजनीतिक अखंडता को प्रदर्शित करने” का आरोप लगाया था।
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चीनी मीडिया ने सन लिजुन के वास्तविक गुनाहों के बारे में नहीं बताया है और ना ही ये बताया है, कि वो किस तरह की पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि, उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अधिकारों को चुनौती दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, सन लिजुन ने “पार्टी की नीतियों की आधारहीन आलोचना की और राजनीतिक अफवाहें फैलाईं”। उन पर “व्यक्तिगत राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए पार्टि हित के खिलाफ काम करने का और “पार्टी की एकता को गंभीर रूप से कमजोर करने और राजनीतिक सुरक्षा को खतरे में डालने” का आरोप लगाया गया था। वहीं, फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा है कि, सन लिजुन को उदार सजा दी गई है।
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वहीं, आज सुबह से ही मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है, की शी जिनपिंग की सत्ता का तख्तापलट कर दिया है और सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इस बाबत एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने भी कहा है, कि अफवाह है कि, चीनी राष्ट्रपति को सत्ता से हटा दिया गया है। उन्होंने लिखा है कि, ‘नई अफवाह की जांच की जाएगी: क्या शी जिनपिंग बीजिंग में नजरबंद हैं? जब शी हाल ही में समरकंद में थे, तब माना जा रहा है, कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने शी जिनपिंग को पार्टी के सेना प्रभारी से हटा दिया था। फिर हाउस अरेस्ट हुआ। ऐसी अफवाहें चल रही हैं।’
New rumour to be checked out: Is Xi jingping under house arrest in Beijing ? When Xi was in Samarkand recently, the leaders of the Chinese Communist Party were supposed to have removed Xi from the Party’s in-charge of Army. Then House arrest followed. So goes the rumour.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) September 24, 2022
चीनी सोशल मीडिया पर हजारों की संख्या में लोग लिख रहे हैं, कि बीजिंग पर सैन्य कब्जा हो गया है और शी जिनपिंग का तख्तापलट हो गया है, हालांकि, दुनिया को पता नहीं है कि क्या हो रहा है क्योंकि शहर अंततः दुनिया से कट गया है। न्यूज हाईलैंड विजन के अनुसार, पूर्व चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ और पूर्व चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने स्थायी समिति के पूर्व सदस्य सोंग पिंग को मनाकर सेंट्रल गार्ड ब्यूरो (सीजीबी) का नियंत्रण वापस अपने हाथों ले लिया है। आपको बता दें कि, सीजीबी का उद्देश्य, कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के सदस्यों और अन्य सीसीपी नेताओं को सुरक्षा प्रदान करना है। सीजीबी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सुरक्षा के लिए भी जिम्मेदार है और अगर सीजीबी पर किसी और का नियंत्रण हो गया, तो इसे सैन्य तख्तापलट ही कहा जाएगा।