



लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को लखनऊ नगर निगम से प्रांतीय राजधानी में मच्छरों के काटने से होने वाले डेंगू की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा मांगा। पीठ ने राज्य सरकार से भी पूछा कि उसने चिकित्सा सुविधाओं के उन्नयन और खास तौर पर जरूरतमंद मरीजों के लिए प्लाज्मा की उपलब्धता की दिशा में क्या कदम उठाए हैं।
सरकारी अस्पतालों में दवाओं की खरीद क्यों नहीं की जा रही?
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने आशीष मिश्रा की जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। पीठ ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे डेंगू के मामले में जरूरत पड़ने पर स्थानीय प्रशासन की हर संभव मदद करें। चाहे वह श्रम शक्ति की जरूरत हो, मशीनों की या फिर धन की आवश्यकता हो। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 अक्टूबर नियत करते हुए राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए कि वह अदालत को बताए कि प्रदेश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में दवाओं की खरीद और उनके इस्तेमाल के लिए सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े समाधानों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है?
डेंगू की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने में सरकार नाकाम
याचिका में पीठ का ध्यान शहर में डेंगू बुखार फैलने की तरफ दिलाते हुए आरोप लगाया गया है कि प्रदेश सरकार के अधिकारी इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने में नाकाम रहे हैं। याचिका में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक द्वारा विभिन्न अस्पतालों के दौरे के दौरान स्टोर में करोड़ों रुपए की कालातीत (एक्सपायर्ड) दवाएं रखे होने के मामले को भी उठाया गया है।