



रियाद, इस्लामिक देश सऊदी अरब में पिछले 10 दिनों में 12 लोगों के सिर कलम कर दिए गये हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी अरब ने दो साल के अंतराल के बाद ड्रग अपराधों के लिए 10 दिनों में 12 लोगों को मौत की सजा दी है।
एक मानवाधिर संगठन के मुताबिक, सऊदी अरब में पिछले 10 दिनों में जिन 12 लोगों को मौत की सजा दी गई है, उसमें तलवार का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, जिस तरह से लोगों को मौत की सजा दी गई है, वो दर्शाता है, कि सऊदी अरब क्राउन प्रिंस ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपने किए गये उस वादे को तोड़ दिया है, जिसमें उन्होंने मौत की सजा पर रोक लगाने की बात कही थी।
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प्रिंस सलमान के वादे के बाद भी सऊदी अरब में भारी संख्या में लोगों को मौत की सजा दी गई है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों को मौत की सजा दी गई है, उन्हें नशीली दवा रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, हालांकि ये दवाएं उच्च स्तर के ड्रग में शामिल नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों का सिर कलम किया गया है, उनमें पाकिस्तान के तीन नागरिक, सीरिया के चार, जॉर्डन के दो और सऊदी अरब के तीन नागरिक शामिल थे। वहीं, सऊदी अरब में इस साल अब तक कुल मिलाकर 132 लोगों को मौत की सजा दी गई है, जो साल 2020 और 2021 में दी गई कुल मौत की सजा से ज्यादा है। आपको बता दें कि, साल 2018 में मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था, कि उनके प्रशासन ने मृत्युदंड को “कम” करने की कोशिश की है और सिर्फ हत्या या हत्या के दोषी पाए गए लोगों को मृत्युदंड दिया जा रहा था। उन्होंने उस वक्त टाइम मैगजीन को दिए गये इंटरव्यू में बताया था, कि “देश के महामहीन सोते हुए किसी के मृत्यदंड पर साइन नहीं करते हैं, बल्कि उनका फैसला कानून की किताबों के मुताबिक होता है।”
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साल 2020 में भी सऊदी सरकार की तरफ से संकेत दिए गये थे, कि अहिंसक अपराधों के लिए मृत्युदंड दिए जाने के प्रावधानों को लेकर कानून में बदलाव किया जाएगा और अहिंसक अपराधों को लेकर नरमी बरती जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। आपको बता दें कि, सऊदी अरब के ही पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या अक्टूबर 2018 में तुर्की स्थिति सऊदी वाणिज्य दूतावास में कर दी गई थी, जिसके लिए अमेरिका क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को जिम्मेदार मानता है। वहीं, मानवाधिकार संगठन रेप्रीव की डायरेक्टर माया फोआ ने कहा कि, ‘मोहम्मद बिन सलमान ने प्रगति के रास्ते पर अपने दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है और उन्होंने नशीली दवाओं के अपराधों के लिए मृत्युदंड की सजा खत्म करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई थी, लेकिन ये साल एक और खूनी साल साबित हो रहा है। सऊदी अरब के अधिकारी भारी संख्या में लोगों को मौत की सजा दे रहे हैं, जिनमें नशीली दवा के साथ पाए गये आरोपी भी शामिल हैं।’
टेलीग्राफ के मुताबिक, जैनब अबू अल-खीर ने बताया कि, उसके भाई को गुरुवार को तबौक जेल के एक विंग में ले जाया गया, जहां मौत उसका उसका इंतजार कर रही थी। जैनब अबू अल-खीर के भाई और आठ बच्चों के पता 57 साल के हुसैन अबो अल-खीर के पास नशीली दवा मिले थे और इस अपराध में वो पिछले आठ सालों से सऊदी जेल में बंद था। जैनब अबू अल-खीर ने टेलीग्राफ को बताया कि, “सऊदी अरब में न्यायिक प्रणाली का मानवता से लेना-देना नहीं है।” वहीं, अन्य मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि, सऊदी अरब में मामूली बातों को लेकर दोषियों का सिर कलम कर दिया जाता है, लेकिन जमाल खशोगी की बेरहमी से हत्या करवा देने वाले प्रिंस सलमान के खिलाफ एक मुकदमा तक नहीं चलाया गया। संगठनों ने कहा है, कि सऊदी राष्ट्रपति दूसरों को मौत देते हैं, लेकिन अपने बेटे को बचा लेते हैं।
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मानवाधिकार संगठन की माया फोया ने कहा कि, “पिछले 10 दिनों में 12 लोगों का सिर कलम कर दिया गया है और लोगों को उस वक्त मौत दी गई है, जब ये आदेश दिया गया है, कि क्राउन प्रिंस सलमान के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा, जबकि ये साबित हो चुका है, कि प्रिंस सलमान के आदेश के बाद ही जमाल खशोगी की तुर्की वाणिज्य दूतावास में हत्या कर उनकी लाश को कई टुकड़े कर कहां फेंक दिया गया, उसका पता आज तक नहीं चल पाया है। और ये साबित करता है, कि सऊदी प्रिंस के लिए अलग कानून है और देश की जनता के लिए अलग कानून है।” वहीं, एक मानवाधिकार संगठन का ये भी कहना है, कि “आप इस्लामिक शासन की बात करते हैं, आप शरिया कानून की बात करते हैं, आप कहते हैं, कि इस्लामिक शासन के मुताबिक सब बराबर हैं, कोई भेदभाव नहीं है, लेकिन फिर अपने बेटे को बचा लेते हैं, यानि, अपनी नजर में आप खुद को इस्लाम से भी ऊपर मानते हैं।”
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