



लखनऊ, पिछले दिनों सपा के एक सदस्य द्वारा सदन में हंगामे के दौरान इसका फेसबुक पर लाइव टेलीकास्ट कर दिया गया था। इस पर स्पीकर सतीश महाना ने सख्त एतराज जताया था और कुछ घंटे के लिए उन्हें सदन से निलंबित कर दिया था।
साथ ही भविष्य में इस तरह की घटना दुबारा न होने की बात कही थी। अब उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली-2023 में इस पर खास प्रावधान होने जा रहा है। 1958 की मौजूदा नियमावली में इस बात का कोई प्रावधान नहीं है। अब इस पर स्पष्ट नियम बनेंगे।
नए नियम के तहत विधानसभा की कार्यवाही का अगर बिना अनुमति सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण किया तो उसका कहीं भी और कभी भी उपयोग करना असंवैधानिक होगा। सदन की ऐसी किसी घटना का लाइव प्रसारण हो भी गया तो भी उसे विधानसभा की कार्यवाही से बाहर माना जाएगा और उसका उपयोग अनुचित होगा। असल में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन में ई- विधान लागू होने, सोशल मीडिया का प्रचलन बढ़ने और नियमों को सरल करने के साथ विपक्ष को अपनी बात कहने का ज्यादा वक्त देने के लिए मौजूदा नियमावली में बड़े बदलाव की जरूरत महसूस की। इसीलिए नई नियमावली पर काम तेजी से चल रहा है और अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में इसे पास कराने के लिए रखा जाएगा।
लोकसभा और राज्यसभा की तरह विधानसभा में सदस्यों का मत लेने के लिए इलेक्ट्रानिक वोटिंग सिस्टम लगेगा। तब सदस्यों को सरकार के बहुमत के परीक्षण की कभी नौबत आने पर केवल अपनी मेज के आगे लगे इलेक्ट्रानिक बटन दबाना होगा और सामने स्क्रीन पर क्षण भर में ही सरकार व विपक्ष को मिले मत पता चल जाएंगे। अभी ऐसी स्थिति में पर्ची में नाम लिख कर मतपेटिका में डालने की व्यवस्था है।
-संशोधन के बजाए नई बन रही है विधानसभा की नियमावली
-सदन को बुलाने से पहले सदस्यों को अब 15 दिन के बजाए 7 दिन पहले सूचना दी जाएगी
-अब सदस्य सदन सत्रावसान के बजाए सदन स्थगित होने के 15 दिन बाद ही नए सत्र के लिए अपने सवाल लगा सकेंगे।
-सदस्यों को अपनी हाजिरी अपने टैबलेट में थंब इम्प्रेशन के जरिए लगाने का प्रावधान होगा
-सदन में बजट पेश होने के तुरंत बाद उसकी प्रतियां बांटने के बजाए उसे आनलाइन जारी किए जाने की नई व्यवस्था भी दर्ज होगी।
विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के मार्गदर्शन में कमेटी नई नियमावली बनाने पर काम कर रही है। इसके लागू होने सदन की गरिमा और बढ़ेगी। जनहित के निर्णय लेने में और सहूलियत होगी। अगले सत्र में नियमावली सदन के सामने रखी जाएगी।