



नई दिल्ली, आजकल ज्यादातर लोग स्मार्टवॉच का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. क्योंकि इसमें ऐसे कई फीचर्स हैं, जो लोगों को इसके प्रति आकर्षित करते हैं इसमें फिटनेस ट्रैकर के साथ-साथ हार्ट रेट मॉनिटर फीचर भी है, जो आपकी हेल्थ से जुड़ी कई बातें बता सकता है. हो सकता है कि आप इसका इस्तेमाल भी कर रहे हों. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि डॉक्टरों ने स्मार्टवॉच को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि स्मार्टवॉच लोगों में बुरे मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा कर सकता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि लोगों ने अपनी हेल्थ को स्मार्टवॉच के इंडिकेशन से जोड़ना शुरू कर दिया है.
दरअसल स्मार्टवॉच के साइड इफेक्ट्स से जुड़ा एक केस सामने आया है. ये केस रिपोर्ट एक 27 साल के स्विस-जर्मन व्यक्ति की है. इस व्यक्ति को पहले किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी, लेकिन फिर भी उसे स्मार्टवॉच की वजह से तनाव और घबराहट का सामना करना पड़ा. इसकी वजह ये है कि उसने अपने स्मार्टवॉच के इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम पर लगातार नजर रखना शुरू किया था, जिसकी वजह से उसे लगने लगा कि उसकी छाती में दर्द हो रहा है.
उसे अपने दिल में ब्लड फ्लो पर शक होने लगा कि इसकी रफ्तार कम क्यों हो रही है. इस डर से वो अस्पताल गया. जहां जांच में पता चला कि स्मार्टवॉच का इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और 12 लीड इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानी (ECG) बिल्कुल समान है. इसका मतलब ये है कि स्मार्टवॉच और ECG की रिपोर्ट बिल्कुल ठीक थी, जो ये बता रही थी कि व्यक्ति पूरी तरह से नॉर्मल है और उसे किसी तरह की दिल संबंधी पेरशानी नहीं है. उसे काफी देर तक समझाने बुझाने और आश्वासन देने के बाद डिस्चार्ज किया गया. डॉक्टरों ने उसे बताया कि उसे कोई भी बीमारी नहीं है. साथ ही कहा कि उसे आगे भी इलाज की जरूरत नहीं होगी.
मेडिकल केस रिपोर्ट्स के जर्नल में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिक्स ने कहा कि यूनिवर्सिटी के छात्र ने अपनी ‘हार्ट हेल्थ’ को ट्रैक करने के लिए स्मार्टवॉच तब खरीदी थी, जब डेनिश फुटबॉलर क्रिश्चियन एरिक्सन को एक मैच के दौरान कार्डियक अरेस्ट हुआ था. छात्र फुटबॉलर के केस से ही घबराया हुआ था. इसलिए वो स्मॉर्टवॉच के जरिए अपने दिल के स्वास्थ्य पर नजर रखने लगा. उसने गूगल किया कि स्मॉर्टवॉच में इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) मॉनिटर पर हार्ट अटैक कैसा शो करेगा. दरअसल ईसीजी एक सिंपल टेस्ट है, जिसका इस्तेमाल आपके दिल की गति और इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी की जांच के लिए किया जा सकता है.
डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल में छात्र बहुत ही परेशान दिखाई दिया. उसमें चिंता और घबराहट जैसे लक्षण दिखाई दे रहे थे. इमरजेंसी डिपार्टमेंट में आगे की जांच में पाया गया कि छात्र का हार्ट रेट 88 बीट प्रति मिनट (बीपीएम) यानी नॉर्मल था और दिल से संबंधित कोई भी समस्या नहीं थी.
एक्सपर्ट पहले भी कई बार स्मार्टवॉच की प्रभावशीलता पर सवाल उठा चुके हैं. कुछ का कहना है कि इसकी वजह से वजन बढ़ सकता है. साल 2016 में पब्लिश एक पेपर में पाया गया था कि जिन लोगों ने एक साल तक फिटबिट पहनी थी, उनके वेट या ब्लड प्रेशर में कोई बदलाव नहीं देखा गया. द लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट ने कहा कि ट्रैकर्स का फीचर होने के बावजूद इस बात के काफी कम सबूत हैं कि स्मार्टवॉच हेल्थ में सुधार करने में मदद कर सकते हैं.