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निसार है बहुत कमाल का, कृषि मानचित्रण, और भूस्खलन-प्रभावित क्षेत्रों सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा प्रयोग

नई दिल्ली, बुधवार को नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी अवलोकन उपग्रह निसार भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को सौंप दिया। चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने कहा कि नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) ले जाने वाला अमेरिकी वायु सेना का सी-17 विमान बेंगलुरु में उतरा है।

उपग्रह को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच सहयोग के तहत बनाया गया है। NISAR का उपयोग ISRO द्वारा कृषि मानचित्रण, और भूस्खलन-प्रभावित क्षेत्रों सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। इसको 2024 में आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से निकट-ध्रुवीय कक्षा में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।

आठ साल पहले इस मिशन में शामिल हुआ था इसरो
इससे पहले इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक बयान में कहा था कि हम आठ साल से अधिक समय पहले इस मिशन में शामिल हुए थे। लेकिन अब हम NISAR के लिए कल्पना की गई विशाल वैज्ञानिक क्षमता को पूरा करने के लिए करीब आ गए हैं। यह मिशन एक विज्ञान उपकरण के रूप में रडार की क्षमता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन होगा और हमें पृथ्वी की गतिशील भूमि और बर्फ की सतहों का पहले से कहीं अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा।

बता दें कि NISAR लगभग 40 फीट (12 मीटर) व्यास वाले ड्रम के आकार के रिफ्लेक्टर एंटीना के साथ रडार डेटा एकत्र करेगा। यह पृथ्वी की भूमि और बर्फ की सतहों में एक इंच के अंश तक परिवर्तन का निरीक्षण करने के लिए इंटरफेरोमेट्रिक सिंथेटिक एपर्चर रडार या इनएसएआर नामक सिग्नल-प्रोसेसिंग तकनीक का उपयोग करेगा।

इसके अलावा निसार, मिशन बायोमास, प्राकृतिक खतरों, समुद्र के स्तर में वृद्धि और भूजल के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिक तंत्र, गतिशील स्तरों और बर्फ के द्रव्यमान को मापेगा एवं अन्य तरह की तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगा।

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