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‘मुझे बचा लो, मैं मरना नहीं चाहता’, सतीश कौशिक के वो आखिरी पल, मैनेजर ने बताई दिल दहला देने वाली बात

नई दिल्ली चार दशक लंबे करियर में थिएटर, सिनेमा, टेलीविजन और OTP प्लेफॉर्म पर अभिनय, निर्देशन, लेखक और बतौर निर्माता अपनी छाप छोड़ चुके मशहूर अभिनेता एवं फिल्मकार सतीश कौशिक (Satish Kaushik) का गुरुवार तड़के दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

वह 66 साल के थे। फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ और ‘मिस्टर इंडिया’ में यादगार भूमिकाएं निभाने वाले कौशिक के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित फिल्म जगत की सभी हस्तियों ने शोक जताया है। सदाबहार अभिनेता अपनी जिंदगी के आखिरी वक्त दिल्ली में मौजूद थे। वह होली खेलने के लिए अपने दोस्तों के पास गए हुए थे।

इस दौरान सतीश कौशिक के साथ उनके मैनेजर संतोष राय भी मौजूद थे। संतोष ने बताया है कि दिवंगत अभिनेता अपने आखिरी वक्त में क्या कह रहे थे। संतोष राय ने ईटाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उस रात की एक-एक पल की जानकारी दी है। संतोष के अनुसार सतीश कौशिक उनसे आखिरी वक्त में कह रहे थे कि उनकी जान बचा लो, वह मरना नहीं चाहते हैं।

संतोष ने बताई पूरी कहानी संतोष राय ने बताया कि 8 मार्च की उस रात दिल्ली में वह सतीश जी के साथ थे। संतोष ने बताया कि रात करीब 8.30 बजे उन्होंने डिनर खत्म किया। हमें 9 मार्च को सुबह 8:50 बजे की फ्लाइट से मुंबई लौटना था। उन्होंने कहा, ‘संतोष, जल्दी सो जाओ।

हमें सुबह की फ्लाइट पकड़नी है।” मैंने कहा, “ठीक है सर जी।” फिर मैं बगल वाले कमरे में सोने चला गया। इसके बाद रात 11 बजे उन्होंने मुझे फोन किया। उन्होंने कहा, “संतोष, आ जाओ। मुझे अपना वाईफाई पासवर्ड ठीक करने की जरूरत है, क्योंकि मैं एडिटिंग के उद्देश्य से ‘कागज 2’ (कौशिक के निर्देशन में बनी फिल्म जिसकी शूटिंग पूरी हो चुकी है) देखना चाहता हूं।

उन्होंने रात 11:30 बजे फिल्म देखना शुरू किया और मैंने वापस अपने कमरे में चला गया।” संतोष ने आगे बताया कि 12:05 बजे उन्होंने जोर-जोर से मेरा नाम पुकारना शुरू कर दिया। मैं दौड़ता हुआ आया और उनसे पूछा, “क्या हुआ सर? क्यों चिल्ला रहे हो? इसके बजाय आपने मुझे फोन पर कॉल क्यों नहीं किया?” उन्होंने मुझसे कहा, “सुनो, मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है।

प्लीज मुझे डॉक्टर के पास ले चलो।” मैनेजर ने बताया कि इसके बाद तुरंत, मैं और वह कार की ओर गए और वह बैठ गए। उनके ड्राइवर और बॉडीगार्ड भी हमारे साथ थे। उनके पास हमेशा एक ड्राइवर 24 घंटे मौजूद रहता था। जैसे ही हम चले और थोड़ा आगे बढ़े, उनके सीने में दर्द बढ़ गया और उन्होंने कहा कि जल्दी चलो अस्पताल…।’ फिर, उन्होंने अपना सिर मेरे कंधे पर रखा और कहा, “संतोष, मैं मरना नहीं चाहता, मुझे बच्चा लो।” हम 8 मिनट में अस्पताल (फोर्टिस अस्पताल) पहुंच गए, क्योंकि शायद होली की वजह से सड़क खाली थी, लेकिन जब तक हम अस्पताल में दाखिल हुए, वह बेहोश हो चुके थे।

उन्होंने मुझे पकड़ा और कहा, “मुझे वंशिका के लिए जीना है। मुझे लगता है मैं नहीं बचूंगा। शशि और वंशिका का ख्याल रखना।” मैनेजर ने बताया कि उसके बाद मैंने सतीशजी के भाइयों के बच्चों को मुंबई बुलाया और उन्हें सब कुछ बताया। 2:30 बजे तक उनके परिजन सतीश जी के आवास पर पहुंच गए। जाहिर है, उन्होंने सतीश जी की पत्नी को सूचित किया। साथ ही मैंने अनुपम खेर जी को भी कॉल किया। सतीश जी मुझसे कहते थे कि अगर कुछ होता है या कुछ भी चाहिए तो मैं सबसे पहले अनुपम जी और अनिल कपूर जी को फोन करूं।

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