



नई दिल्ली, 1 अप्रैल 2023 से गोल्ड ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाएगी। सरकार ने कहा है कि 31 मार्च के बाद बेचे जाने वाले सभी सोने के ज्वैलरी और अन्य सामान पर हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर (HUID) होना चाहिए।
सरकार के इस कदम का उद्देश्य क्वालिटी स्टैंडर्ड को तय करना है। साथ ही भारतीय ज्वैलरी बाजार को ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुताबिक बनाना है। सरकार के हालमार्किंग अनिवार्य करने से ज्वैलर बिना हालमार्क के ज्वैलरी नहीं बेच पाएंगे। सरकार के इस कदम से बड़ा सवाल है कि क्या बिना हॉलमार्क वाली पुरानी ज्वैलरी ग्राहक ज्वैलर्स को बेच पाएंगे?
बिना हॉलमार्क की ज्वैलरी नहीं बेच पाएंगे ज्वैलर्स इसका मतलब है कि नए वित्तीय वर्ष से बिना HUID नंबर वाले यानी बिना हॉलमार्किंग की ज्वैलरी नहीं बिक पाएगी। हॉलमार्किंग से जुडे 4 निशान ज्वैलरी पर बने होते हैं। ज्वैलर्स बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी नहीं बेच पाएंगे। चार निशान में BIS का लोगो, प्योरिटी, ज्वैलर का लोन और हॉलमार्किंग सेंटर का नंबर होता है।
अभी तक पुराने हॉलमार्क ज्वैलरी बिना HUID के बेचने की इजाजत थी। अब इसमें 6 डिजिट के HUID मार्क का होना भी जरूरी है। गोल्ड हॉलमार्किंग गोल्ड हॉलमार्किंग सोने की प्योरिटी का सर्टिफिकेशन है। भारत सोने की प्योरिटी के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) हॉलमार्क सिस्टम का इस्तेमाल करता है।
बीआईएस ज्वैलरी की हॉलमार्किंग के लिए जिम्मेदार निकाय है। BIS के पास साल 2000 से हॉलमार्किंग योजना है। बिना हालमार्क ज्वैलरी बेचने पर लगेगा जुर्माना नए नियमों के अनुसार यदि ज्वैलरी या 14, 18, या 22 कैरेट सोने से बना कोई भी प्रोडक्ट कलाकृति बिना बीआईएस हॉलमार्क के बेची जाती है, तो ज्वैलर को उस पीस की कीमत की तुलना में पांच गुना जुर्माना या एक साल तक की कैद हो सकती है। ग्राहकों पर क्या पडे़गा असर सरकार ने उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाने और देश भर में सोने की क्वालिटी को एक समान बनाने के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है।
बीआईएस के अनुसार भारत में लगभग 940 हॉलमार्किंग सेंटर्स हैं। ये देश के 256 जिलों में हैं। यहां पहले फेज में ही हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया गया था। महिलाओं के मन में सवाल होगा कि क्या वह अपनी पुरानी बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी बेच पाएंगी या नही। वह अपनी पुरानी ज्वैलरी बेच सकती है लेकिन ज्वैलर की मर्जी पर निर्भर करेगा।