



जयपुर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी साल में एक साथ 19 जिले बनाकर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है. इसको लेकर कांग्रेस का मानना है कि आपसी झगड़े और सत्ता विरोधी लहर (Anti-incumbency) से जूझ रही गहलोत सरकार को नए जिले संजीवनी दे सकते हैं.
19 जिलों के साथ-साथ तीन नए संभाग भी बनाए गए हैं. भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य में इन जिलों की मांग लंबे अर्से से उठ रही थी. हालांकि, नए जिलों में हाड़ौती इलाके का नाम नहीं है.
श्रीगंगानर विधानसभा में अनूपगढ़ को जिला बनाया है. इसको लेकर एक दिलचस्प किस्सा भी है, क्योंकि जिला बनने तक पैर में जूते नहीं पहनने की कसम खाने वाले विधायक मदन प्रजापति की मांग भी पूरी हो गई है. उन्होंने कसम खाई थी कि जब तक अनूपगढ़ जिला नहीं बन जाएगा, तब तक वो जूते नहीं पहनेंगे.
सबसे ज्यादा 4 जिले जयपुर में बने
उधर, बाड़मेर जिले में आने वाले बालोतरा को भी जिले का दर्जा दिया गया है. सबसे ज्यादा जिले जयपुर में बने हैं. इनकी संख्या चार है. जिसमें जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, कोटपुतली-बहरोड़ और दूदू को जिला बनाया गया है. दूदू में गहलोत के करीबी विधायक बाबूलाल नागर हैं. वहीं, कोटपुतली के विधायक गृह राज्यमंत्री राजेंद्र यादव हैं. राजेंद्र ने जिला नहीं बनने पर चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी.
जालौर में नया जिला सांचोर बना
इसके साथ ही नागौर में कुचामन-डीडवाना को नया जिला बनाया गया है, यहां के दोनों विधायक महेंद्र चौधरी और चेतन डूडी गहलोत के करीबी विधायक हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में भी दो जिले बने हैं. जालौर में नया जिला सांचोर बना है. यहां से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के चुनाव लड़ने की अटकलें लग रही हैं.
आदिवासी इलाका सलूंबर भी जिला घोषित
वहीं, उदयपुर के आदिवासी इलाके सलूंबर को भी जिला बनाया गया है. गुजरात के प्रभारी रघुशर्मा के विधानसभा क्षेत्र केकड़ी को भी जिला बनाया गया है. हालांकि, मालपूरा को शामिल करने को लेकर विरोध शुरू हो गया है. राजस्थान में जो जिले बने हैं, वहां ज्यादातर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक हैं. इन तमाम बिंदुओं को देखते हुए कहा जा रहा है कि गहलोत सरकार के इस फैसले से राज्य का सियासी समीकरण भी बदलेगा. हालांकि, इससे कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री को लिखी थी चिट्ठी
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी नया जिला बनाने के लिए बजट से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी थी. मगर उस वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए जिले बनाने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि जिला मनाने के लिए राम लुभाया कमेटी का गठन किया गया है, इसकी रिपोर्ट आई नहीं है.
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने साधा निशाना
इस फैसले को लेकर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि कांग्रेस सरकार की नई घोषणाएं व्यक्तिगत राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति करने का प्रयास हैं. इस कोशिश में राजस्थान के पूरे आर्थिक तंत्र को दांव पर लगा दिया गया है, जिसका खामियाजा आने वाले वर्षों में प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ेगा.
नये जिले बनाए जाने की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज कर दिया गया है. नये जिले बनने से सुगमता के बजाय जनता को प्रशासनिक जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा. प्रदेश के चिंताजनक राजकोषीय संकेतकों को मुख्यमंत्री ने ताक पर रखकर बजट का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
विधायक संदीप यादव ने दिया पद से इस्तीफा
इसके साथ ही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए तिजारा के विधायक संदीप यादव ने भिवाडी की जगह खैरथल को जिला बनाने से नाराज होकर भिवाडी डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है.
अब राजस्थान में 50 जिले और 10 संभाग होंगे
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस ऐलान से अब राजस्थान में 50 जिले और 10 संभाग होंगे. सरकार नए जिलों का 2 हजार करोड़ से विकास करेगी. इसके राजस्थान चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है. इसके चलते कई विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी समीकरण में बदलाव भी देखने को मिल सकता है.
विधानसभा में सीएम गहलोत ने कहा, “हमें राज्य में कुछ नए जिलों के गठन की मांगें मिलीं. इन प्रस्तावों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था और हमें अंतिम रिपोर्ट मिल गई है. मैं अब राज्य में नए जिलों के गठन की घोषणा करता हूं”.
ये हैं नए जिले
सीएम गहलोत ने विधानसभा में जिन 19 नए जिलों को बनाने की घोषणा की है, उनमें अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, दूदू, जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिणस, जोधपुर पूर्व, जोधपुर पश्चिम, गंगापुर सिटी, केकड़ी, कोटपुतली, बहरोड़, खैरतल, नीमकाथाना , सांचोर, फलोदी, सलुंबर, शाहपुरा शामिल हैं.
इसके साथ ही सीएम ने विधानसभा में घोषणा की कि राजस्थान सरकार उदयपुर जिले के 367 गांवों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 362.13 करोड़ रुपये खर्च करेगी. मुख्यमंत्री ने सोम-कमला-अंबा बांध से इन गांवों में पेयजल आपूर्ति करने वाली परियोजना के वित्तीय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. वित्तीय स्वीकृति 2023-24 के बजट में गहलोत की घोषणा के अनुपालन में दी गई थी.