



नई दिल्ली, पहली बार एक ऐसी तकनीक से गाड़ी के निकले धुएं से उत्सर्जित अल्ट्रा वॉयलेट (Altra violet) किरणों से वाहनों को सैटेलाइट (Satalite) द्वारा ट्रेस किया जा सकता है वह भी बिना किसी यंत्र के,अब किसी भी प्रकार के वाहनों में जैसे सीएनजी,पेट्रोल, डीजल से चलने वाले वाहनों में जीपीएस लगाने की आवश्यकता नहीं.
मीडिया से बातचीत में इस तकनीक के अविष्कारक मुर्तुज़ा अली हामिद (Murtaza Ali Hamid) ने बताया कि यह तकनीक पूरी तरह इस्तेमाल के लिऐ तयार है. इसका पहला पायलट व्यक्तिगत तौर पर किसी भी वाहनों को ट्रेस कर सके यह संभव हो पाया था इसका लाइव डेमो 15 फरवरी 2023 को सफलता पूर्वक किया गया. इस तकनीक के पायलट प्रोजेक्ट को दिखाने मे एक कदम आगे बढ़ते हुए कंपनी सड़क पर चलने वाले वाहनों को ट्रेस करके जीपीएस लगा हो या ना लगा हो ये यह सुनिश्चित करेगी कि सड़कों पर चलना कितना सुरक्षित है.
तकनीक को कराया पेटेंट
मुर्तुजा अली (Murtaza Ali) बताते है कि यह तकनीक भारत सहित पूरे विश्व में सिर्फ उनके कंपनी के नाम पर ही पेटेंट रजिस्टर्ड है,और इसका कहीं और इस्तेमाल में लाना संभव नहीं है. इस तकनीक के माध्यम से देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा में भी कड़ी मजबूती प्राप्त होगी. इसके इस्तेमाल से देश के राजस्व यानी GST कलेक्शन में भी दुगुनी वृद्धि होगी. जिससे देश की जीडीपी को भी फायदा पहुंचेगा और सड़को पर बिना टोल प्लाजा के कलेक्शन पर किलोमीटर आधारित तकनीक पर किया जा सकेगा.
यह तकनीक पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित, विकसित एवं संचालित है,तथा इसमें किसी भी प्रकार से बाहरी कंपनी या संस्था का सहयोग किसी भी प्रकार से नही लिया गया हैं. मीडिया के अनुसार मुर्तुजा जन्म से नेत्रीय विकलांग है. उन्होने इस तकनीक का पहला प्रदर्शन मिनिस्ट्री ऑफ रोड एंड हाईवेज के समक्ष 15 सितंबर 2018 को NHAI में दिखाया गया. मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष इस टेक्नोलॉजी की पूरी जानकारी दी और मंत्रालय की ओर से यह आश्वासन दिया गया कि वह समय रहते इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगे.
नितिन गडकरी के आश्वाशन के बाद मुर्तुजा अली ने इस तकनीक के बदौलत देश के समग्र विकास में क्या-क्या योगदान हो सकता है. इस दिशा में कार्य करते हुए उन्होने बताया कि 30 अप्रैल 2023 से अगले 15 दिनों तक दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रवाहित होने वाले संपूर्ण ट्रैफिक को मॉनिटर करके और प्रत्येक वाहन का डाटा लेकर, जिसमें वाहन का नंबर वाहन में रखे गए माल का वजन तथा उसमे उपयोग लाए जाने वाले इंधन का पूरा विवरण वे दैनिक तौर पर प्रदान करेंगे. साथ ही संबधित एजेंसियों को लाइव भी प्रदर्शित करेंगे.
दुर्घटनाओं में आयेगी कमी
इस तकनीक के इस्तेमाल से सड़क पर होने वाले दुर्घटनाओं में कमी आयेगी और सुरक्षा की दृष्टि से विशेषकर महिलाओं के सुरक्षा के लिऐ इस तकनीक का इस्तेमाल कारगर साबित होगा, क्योंकि इसमें जीपीएस से होने वाले नुकसान से बचते हुए अधिकतम लाभ प्राप्त होगा साथ ही विशेषज्ञों द्वारा 99.99% इस तकनीक को सुरक्षित बताया जा रहा है. डॉ. मुर्तजा अली ने बातचीत में बताया इस तकनिक के विस्तार में कई स्वदेशी कंपनीयो से उनकी बातचीत लगातार जारी हैं और इस पायलट प्रदर्शन के बाद सरकार सहित आम नागरिक भी इसकी सुरक्षा का अनुभव कर पाएंगे और इसका मुफ्त इस्तेमाल ऐप के जरिए लोग कर पाएंगे.
मुर्तजा अली ने इस तकनीक के पूछे जाने पर बताया की इस तकनीक से गाड़ी के निकले धुएं से उत्सर्जित अल्ट्रा वॉयलेट किरणों को सैटेलाइट के मध्यम से संग्रहित कर अपनी तकनीक से प्रशस्किंत करके उसकी एक यूनीक आई.डी डेवलप की जाती हैं जिससे किसी भी वाहन की दिशा और दशा प्राप्त करने मे आसानी होती है.