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ग़मगीन माहौल में राबे हसनी नदवी तकिया रायबरेली में हुए सुपुर्द ए खाक, 500 प्रभावशाली शख्सियतों में थे शामिल

रायबरेली, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ के मौलाना राबे हसनी नदवी का शव रायबरेली शहर के तकिया लाया गया, जहां शुक्रवार को जनाजे की नमाज पढ़ी गई और उसके बाद गमगीन माहौल में उन्हें सुपुर्द ए खाक किया गया.

इस दौरान रायबरेली, लखनऊ और आसपास के जिलों के हजारों लोग वहां मौजूद रहे. नदवी पूरे साल कहीं भी रहते रहे हों, रमजान के दिनों में वह तकिया में ही निवास करते थे. रमजान के समय वह तकिया में थे, लेकिन अचानक बीमार हो गए. उनको लखनऊ ले जाया गया, जहां बृहस्पतिवार को उनका निधन हो गया.

मौलाना राबे हसनी नदवी देश के वयोवृद्ध इस्लामिक विद्वान थे. वह लंबे समय से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और लखनऊ में इस्लामी धार्मिक शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र- नदवतुल उलेमा के अध्यक्ष थे.

वह मुस्लिम वर्ल्ड लीग के संस्थापक सदस्य और आलमी राबिता अदब-ए-इस्लामी, रियाद (केएसए) के उपाध्यक्ष भी थे. उन्हें दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में सूचीबद्ध किया गया था.

मौलाना राबे हसनी नदवी का जन्म 1अक्टूबर 1929को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था. राबे हसनी नदवी ने रायबरेली में ही अपने परिवार के मकतब से प्राथमिक शिक्षा हासिल की और उच्च अध्ययन के लिए दारुल उलूम नदवतुल उलेमा में दाखिल हो गए.

साल 1949में शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें दारुल उलूम नदवतुल उलेमा में ही सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ति मिल गई.इसके बाद वह इस्लामिक शिक्षा और अध्यापन से ही जुड़ गए. साल 1993में उन्हें दारुल उलूम नदवतुल उलेमा का मुहतमिम (वाइस चांसलर) नियुक्त किया गया.

इसके 1999 में उन्हें नदवा का चांसलर नियुक्त किया गया. जून 2002में हैदराबाद में हजरत मौलाना काजी मुजाहिद उल इस्लाम कासमी के निधन के बाद उन्हें सर्वसम्मति से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया. तब से वह इस पद पर थे. अरबी भाषा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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