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ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने इजरायल को दी खुली धमकी, बोले हमारे खिलाफ अगर कोई कार्यवाही हुई तों तेल अबीब को कर देंगे तबाह

तेहरान, ईरान के सैन्य दिवस के मौके पर राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने इजरायल को एक बार फिर से खुली धमकी दे डाली है.

ईरानी टेलीविजन पर प्रसारित हुए सैन्य दिवस कार्यक्रम के दौरान रईसी ने इजराइल के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर ईरान के खिलाफ छोटी सी कार्रवाई भी की गई तो उसका नतीजा तबाही के रूप में सामने आ सकता है. सैन्य दिवस के मौके पर ईरान के हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों ने तेहरान के ऊपर उड़ान भरी जबकि पनडुब्बियों ने ईरानी जल सीमा के अंदर अपनी ताकत का नमूना दिखाया.

अपने इस भाषण में इब्राहिम रईसी ने सऊदी अरब की आलोचना से किनारा किया, क्योंकि इन दिनों शिया बहुल ईरान मिडल ईस्ट के सुन्नी देशों और खास तौर से सऊदी अरब के साथ चले आ रहे तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है. सैन्य समारोह के अपने भाषण में इब्राहिम रईसी ने इजरायल को धमकी देते हुए कहा कि दुनिया की बड़ी ताकतों के साथ हुए परामणु समझौते के टूटने के बाद इजरायल ने उसके ठिकानों और लोगों को निशाना बनाते हुए हमले किए हैं.

ईरान के दुश्मनों, और खास तौर से यहूदी शासन को समझना चाहिए कि ईरान के खिलाफ की गई छोटी सी कार्रवाई का भी हमारे सशस्त्र बल बेहद सख्त जवाब दे सकते हैं, जिसका नतीजा इज़राइल के हाइफा और तेल अवीव की तबाही के तौर पर सामने आ सकता है.

अपने भाषण में इब्राहिम रईसी ने अपनी ये मांग भी दोहराई कि अमेरिका को पश्चिम एशिया को छोड़कर चले जाना चाहिए. दरअसल, 1970-80 के दशक में जब जिम्मी कार्टर अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तभी से अमेरिकी शासन की फारस की खाड़ी के इलाके को सुरक्षा देने की नीति रही है, क्योंकि ये इलाका दुनियाभर में ऊर्जा आपूर्ति के लिए काफी अहम है. दुनिया का तकरीबन 20 फीसदी तेल व्यापार ओमान और ईरान के बीच मौजूद हार्मुज की खाड़ी के रास्ते ही होता है.

रईसी ने कहा कि हमारी फौजें गर्मजोशी से इस इलाके के देशों से हाथ मिलाएंगी ताकि इलाके की सुरक्षा और ज़्यादा मज़बूत और बेहतर हो सके. इस साल मार्च के महीने में सऊदी अरब और ईरान के बीच चीन की मध्यस्थता से एक समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों के बीच तकरीबन सात साल बाद अपने राजनयिक संबंध फिर से स्थापित करने और एक-दूसरे देशों में दूतावास फिर से खोलने को लेकर सहमती बनी थी. ऐसे में ईरानी राष्ट्रपति के भाषण में सऊदी अरब का ज़िक्र नहीं होने से अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि अब दोनों देश अपने रिश्तों में सुधार की तरफ आगे बढ़ रहे हैं.

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