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दुनिया पर गहराया जल संकट! रिपोर्ट में दावा- सूख रही हैं आधी से ज्यादा बड़ी झीलें, खतरे में आए दुनिया के अरबों लोग

नई दिल्ली, कई रिपोर्टों में कई बार इस बात का खुलासा हो चुका है कि धीरे-धीरे पूरी दुनिया जल संकट की तरफ बढ़ रही है.

वहीं अब एक और अध्ययन में दावा किया गया है कि दुनिया के सबसे बड़ी झीलों और जलाशयों का जल स्तर तेजी से घट रहा है और वो सूखने की कगार की तरफ बढ़ रही है. वहीं ऐसा माना जाता है कि भविष्य में इंसानों को जल संकट की बड़ी त्रासदी झेलनी होगी.

न्यूज एजेंसी एएफपी से मिली जानकारी के मुताबिक ये अध्ययन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और पेपर के सह-लेखक ने किया है. इसमें उन्होंने बताया कि दुनिया भर कई झीलें संकट संकट में हैं. प्रोफेसर राज गोपालन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चौंकाने वाली बात ये है कि दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी झीलों के बेसिन में रह रही है और जो लगातार सूख रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो इससे लगभग दो अरब लोग प्रभावित होंगे.

प्रोफेसर ने बताया कि दुनियाभर के वैज्ञानिक नदियों की बिगड़ती हालत पर नजर बनाए हुए हैं. इसके बावजूद इसको लेकर कुछ खास कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अरल (Aral Sea) और कैस्पियन सागर (Caspian Sea) जैसी बड़ी झीलों में आई आपदाओं ने इस संकट का संकेत दे दिया है.

30 साल में पानी की मात्रा में कितना अंतर?

दरअसल जिस टीम ने इसका अध्ययन किया उसमें अमेरिका, सऊदी अरब और फ्रांस के वैज्ञानिक शामिल थे. जानकारी के मुताबिक टीम ने 1992 से 2020 तक सेटेलाइट तस्वीरों की मदद से बड़ी 1,972 सबसे झीलों और जलाशयों की जांच की. इस दौरान यह जानने की कोशिश की गई कि इन झीलों में 30 साल में पानी की मात्रा में कैसे और कितना अंतर आया है. वहीं जांच में सामने आया कि 53 प्रतिशत झीलों और जलाशयों के पानी की में लगभग 22 गीगा टन वार्षिक दर से गिरावट हुई.

इसमें बड़ी बात यह है कि सूखा क्षेत्र में तो जल स्तर घटा ही है, जहां ज्यादा बारिश हुई उन इलाकों के जलाशयों में भी पानी की कमी हुई. इस पूरे अध्ययन के दौरान 603 क्यूबिक किलोमीटर पानी (145 क्यूबिक मील) गायब हो गया. बता दें कि ये मात्रा अमेरिका के लेक मीड के पानी से 17 गुना ज्यादा है.

जलस्तर घटने के बड़े कारण

वहीं अगर घटते जलस्तर के कारणों की बात करें तो अध्ययन में सामने आया कि इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग तो एक वजह है ही, इसके साथ ही पानी की कमी का कारण इंसानों में बढ़ती जल की खपत भी जिम्मेदार थी. बता दें कि तापमान बढ़ने से पानी भाप बनकर उड़ रहा है. इसके अलावा कुछ जगहों पर बारिश भी कम हो गई है.

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