नई दिल्ली, गलत आपरेशन से महिला हालत इतनी गंभीर हो गई कि जान जाते जाते बची। लाखों रुपये खर्च हो गए। पति ने डाक्टर को विधिक नोटिस भेजा तो फौजदारी के मामले में फंसाने की धमकी दी गई।
इस पर उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग के सदस्य राजेन्द्र सिंह और विकास सक्सेना ने डाक्टर को अलग-अलग मदों में 25 लाख 25 हजार रुपये हर्जाना भरने का आदेश दिया। वर्ष 2018 से 12 फीसदी ब्याज सहित ये राशि करीब 40 लाख रुपये होगी।
अयोध्या के अमानीगंज निवासी हनुमान प्रसाद की पत्नी मालती देवी के पेट में दर्द उठा। उन्होंने वहीं सुनीता हेल्थ केयर सेंटर की मालिक डॉ. सुनीता सिंह को दिखाया। डॉ. सुनीता ने तत्काल आपरेशन की बात कर दो लाख रुपये जमा कराए। छह दिन अस्पताल में रहने पर भी कोई फायदा नहीं हुआ और घाव भी नहीं भरा।
इस पर डॉक्टर ने एक और आपरेशन के नाम पर सात लाख रुपये जमा करा लिए। चार जून 2018 को दूसरा आपरेशन भी असफल रहा। पत्नी की हालत अत्यंत गंभीर हो गई लेकिन इलाज के बजाय डॉ. सुनीता सिंह देहरादून चली गईं।
कोई सुनवाई न होने पर परिजन उन्हें मेयो हास्पिटल लखनऊ ले गए। जहां पर बताया गया कि गलत आपरेशन होने के कारण मल और यूरिन का गलत रास्ता बन गया और उसका रिसाव ऑपरेशन वाले घाव से होने लगा। मेयो हास्पिटल में इलाज कराने पर पांच लाख रुपये खर्च हुए।
मेयो हास्पिटल से डिस्चार्ज होने पर डॉ. सुनीता सिंह को सारी बातें बताईं लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया और न ही धनराशि की रसीद दी। इस पर मालती के पति ने डॉ. सुनीता को विधिक नोटिस भेज दिया। इस पर नाराज होकर डॉक्टर ने फौजदारी के झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी।
तब मालती के पति ने राज्य उपभोक्ता आयोग की शरण ली। सदस्य राजेन्द्र सिंह और विकास सक्सेना ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। आयोग ने यह पाया कि डाक्टर द्वारा लापरवाही और चिकित्सीय उपेक्षा बरती गई। ‘परिस्थितियां स्वयं बोलती हैं’ का सिद्धांत इस केस पर पूर्णतया लागू होता है।
गर्भाशय का आपरेशन करते समय डाक्टर ने लापरवाही से इंटेस्टाइन को पंक्चर कर दिया। इस वजह से इंटेस्टाइनल परफोरेशन की समस्या उत्पन्न हुई और घाव से मल आना शुरू हो गया। यह चिकित्सीय लापरवाही का मामला है। इस मामले में डा. सुनीता सिंह और उनके अस्पताल को दोषी पाया गया।
उनके खिलाफ आदेश पारित किया गया कि 15 लाख रुपये और चार जून 2018 से 12 फीसदी ब्याज के साथ 30 दिन के अंदर मालती देवी को अदा करें। चिकित्यीय लापरवाही और मानसिक पीड़ा के एवज में 10 लाख रुपये और 4-06-2018 से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करें। वाद व्यय के रूप में 25,000 रुपये मय ब्याज के देने का आदेश दिया।