नई दिल्ली, पवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal)को 7वां समन जारी किया है। उन्हें दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले के संबंध में पूछताछ के लिए 26 फरवरी को ED के सामने पेश होने को कहा गया है।
इससे एक दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी के छठे समन को यह कहते हुए नजरअंदाज कर दिया था कि उनकी “वैधता” का मामला अब अदालत में है। AAP ने कहा था कि ED को बार-बार समन भेजने के बजाय कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
जवाब में केंद्रीय एजेंसी ने दावा किया था कि एक स्थानीय अदालत ने प्रथम दृष्टया केजरीवाल को इस मामले में उन्हें जारी किए गए पहले नोटिस की “अवज्ञा” करने का दोषी ठहराया था, जिसके लिए सातवें समन की आवश्यकता थी।
इससे पहले 17 फरवरी को AAP सुप्रीमो ने एक अदालत को बताया था कि वह ED द्वारा दायर एक आवेदन के संबंध में उसके समक्ष पेश होना चाहते थे, लेकिन बजट सत्र और दिल्ली विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के कारण ऐसा नहीं कर सके।
ED के सूत्रों ने दावा किया कि एक स्थानीय अदालत ने प्रथम दृष्टया केजरीवाल को इस मामले में पूर्व में जारी नोटिसों की ‘अवज्ञा’ करने का दोषी पाया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक 55 वर्षीय केजरीवाल ने छठी बार संघीय एजेंसी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था। पार्टी ने कहा कि केजरीवाल को बार-बार समन भेजने के बजाय ईडी को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
दिल्ली की एक अदालत ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में समन की अवज्ञा करने के लिए केंद्रीय एजेंसी द्वारा दाखिल शिकायत के संबंध में केजरीवाल को 17 फरवरी को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट दी थी।
अदालत ने मामले की सुनवाई 16 मार्च के लिए निर्धारित की थी और केजरीवाल के वकील ने मामले की अगली सुनवाई पर दिल्ली के मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आश्वासन दिया था।
ED के सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने इस मामले में पूर्व में जारी किए गए 3 समन की ‘जानबूझकर अवज्ञा’ करने के लिए केजरीवाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 174 के तहत अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी।
सूत्रों ने दावा किया कि अदालत ने शिकायत पर संज्ञान लिया और प्रथम दृष्टया स्वीकार किया कि केजरीवाल ने अपराध किया है, जिसके लिए उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि अदालत के सामने सवाल समन की वैधता का नहीं बल्कि केजरीवाल द्वारा जानबूझकर पूर्व में जारी समन की अवज्ञा करने का गैरकानूनी कृत्य है।
सूत्रों ने बताया कि इसलिए अदालत में मामला विचाराधीन होने के बावजूद ईडी द्वारा केजरीवाल को समन जारी करना गलत नहीं है। मामले के संबंध में ईडी द्वारा दाखिल आरोपपत्र में केजरीवाल के नाम का कई बार उल्लेख किया गया है।