लखनऊ, उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के बैनर तले आज लखनऊ में आयोजित विशाल रैली के बाद यह घोषणा की गई. इस रैली के बाद हुई आमसभा में सर्वसम्मति से 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया गया.
संघर्ष समिति के अनुसार, निजीकरण के खिलाफ यह आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से चलेगा. 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक जन-जागरण अभियान चलाया जाएगा. जिसमें सांसदों-विधायकों को ज्ञापन देकर विरोध जताया जाएगा. 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर राज्य भर में बाइक रैलियां निकाली जाएंगी. इसके बाद 2 से 9 मई तक शक्तिभवन मुख्यालय पर क्रमिक अनशन होगा, जिसमें प्रदेश के साथ-साथ उत्तरी भारत के बिजली कर्मी भाग लेंगे.
20 मई को सभी ऊर्जा निगमों में होगा व्यापक विरोध प्रदर्शन
इसके बाद 14 मई से 19 मई तक “नियमानुसार कार्य आन्दोलन” होगा, जिसमें कर्मचारी केवल अपनी निर्धारित ड्यूटी तक ही सीमित रहेंगे. 20 मई को सभी ऊर्जा निगमों में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और 21 से 28 मई तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक तीन घंटे का कार्य बहिष्कार किया जाएगा. यदि सरकार तब भी नहीं मानी तो 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया जाएगा.
ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन भी रहे मौजूद
रैली में देशभर के कई राज्यों से आए बिजली कर्मचारी संगठनों के शीर्ष नेताओं ने शिरकत की और यूपी के बिजली कर्मियों को समर्थन देने का ऐलान किया. इनमें तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड सहित कई राज्यों के प्रतिनिधि शामिल थे. इस सभा को ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, एआईएफईई के सेक्रेटरी जनरल मोहन शर्मा, ऑल इंडिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर के त्रिवेदी और अटेवा के अध्यक्ष विजय बंधु सहित अनेक नेताओं ने संबोधित किया.
देशभर के 27 लाख बिजली कर्मी करेंगे आंदोलन
वक्ताओं ने चेताया कि यदि किसी भी कर्मचारी का उत्पीड़न किया गया या निजीकरण की प्रक्रिया वापस नहीं ली गई तो देशभर के 27 लाख बिजली कर्मी राष्ट्रव्यापी आंदोलन को बाध्य होंगे. इस सभा में मौजूद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के प्रमुख पदाधिकारियों ने एक स्वर में निजीकरण का विरोध करते हुए संघर्ष को निर्णायक बनाने का संकल्प लिया, इस रैली में करीब 25,000 कर्मचारी शामिल हुए.