कोयले और प्राकृतिक गैस की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से बढ़ा दुनिया में ऊर्जा संकट

नई दिल्ली, एक तरफ चीन ऊर्जा के गहरे संकट से जूझ रहा है, उसी समय ब्रिटेन में प्राकृतिक गैस के दाम तेजी से बढ़े हैं। इस कारण ब्रिटेन के ऊर्जा सप्लायर भारी दबाव में हैं। कई दूसरे यूरोपीय देशों को भी ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ रहा है।

यूरोप में ये आम आशंका है कि सर्दी बढ़ने के साथ ये संकट और गहरा जाएगा। उस समय घरों को गर्म रखने के लिए अधिक गैस और बिजली की जरूरत होगी।

चीन में हालत यह है कि वहां सरकार ने ऊर्जा कंपनियों से कहना है कि ईंधन सप्लाई को सुरक्षित बनाने के लिए वे ‘जो भी जरूरी है, उसे करें।’ चीन के उप प्रधानमंत्री हान झेंग ने ऊर्जा कंपनियों के अधिकारियों के साथ एक बैठक में कहा कि देश चलता रहे, इसे सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है। चीन में कोयले की कमी का असर बिजली उत्पादन पर पड़ा है। इससे कारखानों का संचालन और घरेलू उपभोग बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

इधर ब्रिटेन में ऊर्जा कंपनियां पहले से तय कीमत के मुताबिक गैस की सप्लाई नहीं कर पा रही हैं। देश के कारोबारी घरानों ने ब्रिटिश सरकार की आलोचना भी तेज कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बोरिस जॉनसन की सरकार संकट का अनुमान लगाने और उसके मुताबिक जरूरी तैयारी करने में नाकाम रही। कारोबारी समूहों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा संकट के संकेत काफी पहले से मिल रहे थे। एक अनुमान के मुताबिक गैस, डीजल और पेट्रोल की बढ़ रही कीमत के कारण ब्रिटेन में मुद्रास्फीति की दर आने वाले महीनों में चार फीसदी से ज्यादा हो जाएगी। उसका आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

विश्लेषकों के मुताबिक ये संकट कई कारणों से खड़ा हुआ है। उनमें कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्थाओं के खुलने से बढ़ रही मांग एक बड़ी वजह है। कोयले की कीमत में अचानक हुई तेज बढ़ोतरी ने संकट को और पेचीदा बना दिया है। पश्चिमी देशों और चीन में कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए अपनी गई नीतियों की वजह से भी ये संकट बढ़ा है। चीन ने इस मकसद से अपने कई कोयला खदान बंद कर दिए थे। वहां अब उन्हें दोबारा चालू करने की मांग उठ रही है।

ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की एक खबर के मुताबिक रूसी गैस उत्पादक कंपनी गैजप्रोम गैस की कीमत और बढ़ाने की तैयारी में है। गैजप्रोम यूरोप में गैस की प्रमुख सप्लायर कंपनी है। उधर अमेरिका की लिक्विफाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) की सप्लायर कंपनियां मांग के मुताबिक गैस की सप्लाई नहीं कर पा रही हैं। यूरोप और अमेरिका में सर्दी का मौसम करीब आ रहा है। उससे मांग और बढ़ गई है।

ब्रिटेन के पास उत्तरी सागर में गैस के बड़े भंडार हैं। लेकिन उसने वहां से गैस निकालने का काम रोक दिया था। इसलिए वह पश्चिम एशिया से होने वाली एलएनजी की सप्लाई पर अधिक निर्भर हो गया। थिंक टैंक ऑक्सफॉर्ड इकोनॉमिक्स में प्रमुख ऊर्जा अर्थशास्त्री टॉबी ह्विटिंग्टन के मुताबिक यूरोप और एशिया में पिछले 12 महीनों के दौरान गैस की कीमतों में पांच गुना इजाफा हुआ है। उन्होंने द गार्जियन से कहा- ‘प्राकृतिक गैस से विश्व बाजार में एक तूफान आया हुआ है।’

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