गहलोत सरकार ने की सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा, जानिए इसके राजनीतिक मायने

नई दिल्ली, राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर दी।

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यह घोषणा कांग्रेस का बड़ा दांव है, जिसका सीधा असर उत्तर प्रदेश के चुनावों पर पड़ता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन की बहाली एक बड़ा मुद्दा है। समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में शामिल कर रखा है।

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पुरानी पेंशन की बहाली उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सरकारी कर्मचारियों की सबसे अहम मांग है। इस मुद्दे पर पूर्व में धरना-प्रदर्शन भी होता रहा है। प्रदेश में करीब 16 लाख सरकारी कर्मचारी और 12 लाख पेंशनर्स हैं, जो सीधे तौर पर इस मुद्दे से जुड़े हुए हैं। समाजवादी पार्टी ने इस विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली को अहम मुद्दे के तौर पर उछाला है और इसे अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया है।

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनावी सभाओं में भी लगातार कह रहे हैं कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार बनती है तो पुरानी पेंशन की बहाली करेंगे। कांग्रेस भी इसके पक्ष में है, लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनावी संग्राम में अब तक उसकी गिनती चौथे नंबर पर ही हो रही है। यानि उसे सत्ता के दावेदार के तौर पर कहीं गिना ही नहीं जा रहा है। जबकि कांग्रेस की कमान संभाल रही पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा बीते कई महीने से यूपी में सियासी जमीन बनाने में लगी हैं और इसके लिए जीतोड़ मेहनत कर रही हैं।

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महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने और राजनीति में सहभागी बनाने की कांग्रेस की मुहिम को महिलाओं और युवा छात्राओं में अच्छा समर्थन मिल रहा है। लडक़ी हूं, लड़ सकती हूं वाला स्लोगन की चल निकला है और कांग्रेस के शक्ति प्रदर्शन में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है, लेकिन यह वोट में बदल सकेगा, इसे लेकर पार्टी के रणनीतिकार भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। ऐसे वक्त में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की ओर से वार्षिक बजट में सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कांग्रेस के लिए संबल बनने का काम करेगा। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकारों ने इस मुद्दे को ठीक से प्रचारित किया तो अभी प्रदेश में तीन चरण का चुनाव बाकी है। कांग्रेस पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को भुना सकती है।

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आप को बता दें कि 2004 में तत्कालीन केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू किया था। इसके तहत कर्मचारी के वेतन से 10 फीसद काटा जाता है और प्रदेश सरकार अपनी तरफ से इसमें 14 प्रतिशत का अंशदान करती है। जबकि पुरानी पेंशन में कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं होती थी। जनवरी 2004 के बाद जो भी सरकारी कर्मचारी नियुक्त हुए हैं, उन्हें न्यू पेंशन स्कीम के तहत एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है, जो शेयर बाजार आधारित है।

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जबकि पुरानी पेंशन योजना सरकारी ट्रेजरी से मिलती थी, जिसमें डीए का भी लाभ रिटायर कर्मचारी को मिलता था। पुरानी पेंशन में रिटायर कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को यह पेंशन मिलती थी, लेकिन नई पेंशन स्कीम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यही कारण है कि कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग कर रहे हैं।

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