कैसे होता है आंख में मोतिया बिंद, यहां जानिए क्या हैं लक्षण , कारण और क्या है इलाज

नई दिल्ली, मोतियाबिंद यानी कैटरैक्ट (Cataracts) आमतौर पर साफ सफेद रंग का होता है. मोतियाबिंद से पीड़ित व्यक्ति को दुनिया वैसी ही दिखती है, जैसे किसी खिड़की या कांच पर धुंध जमने पर हमें उससे बाहर की चीजें दिखती हैं.  मोतियाबिंद के कारण आंख में धुंधलापन आने की वजह से पढ़ना, रात में कार चलाना और किसी के चहरे के भावों को समझना भी मुश्किल हो जाता है. ज्यादातर मामलों में मोतियाबिंद धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआती दौर में आंखों की रोशनी पर ज्यादा असर नहीं डालता. हालांकि, अंतत: यह व्यक्ति की देखने की क्षमता पर असर डालता ही है. शुरुआत में तेज रोशनी और चश्मा पहनकर मोतियाबिंद की वजह से धुंधली पड़ी नजर में फायदा हो सकता है. लेकिन अगर इसकी वजह से आपको दैनिक कार्यों में दिक्कत होने लगे तो सर्जरी करवाना ही उपाय है. अच्छी बात यह है कि मोतियाबिंद की सर्जरी बहुत ही सुरक्षित और असरदार है. India.com से ताजा अपडेट पाने के लिए हमारे Whatsapp चैनल को सब्स्क्राइब करें. यहां और अपनी मनपसंद अपडेट पाएं.

मोतियाबिंद के लक्षण

निम्न लक्षण दिखें तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह मोतियाबिंद के लक्षण हो सकते हैं –

  • धुंधला दिखना
  • रात को देखने में परेशानी होना
  • तेज रोशनी और चकाचौंध के प्रति संवेदनशीलता
  • पढ़ने और अन्य कार्यों के लिए तेज रोशनी की जरूरत महसूस होना
  • रोशनी के चारों ओर ‘प्रभामंडल’ (Halos) दिखना
  • चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का नंबर में बार-बार बदलाव होना
  • आंखों का रंग फीका या पीला पड़ना
  • एक आंख में दोहरी दृष्टि (Double vision)

शुरुआत में आपकी नजर में धुंधलेपन की वजह से आपको कम परेशानी हो सकती है और यह आंख के छोटे से हिस्से में मौजूद हो सकता है. इस दौरान आपको हो सकता है देखने में ज्यादा समस्या न हो. जैसे-जैसे मोतियाबिंद बड़ा होता जाता है, आंख में धुंधलापन भी बढ़ता जाता है. क्योंकि यह आंख में बाहर से जाने वाली रोशनी को बाधित करने लगता है. ऐसा होने पर आपको ऊपर बताए गए लक्षण महसूस होंगे.

मोतियाबिंद के कारण

ज्यादातर मोतियाबिंद तब विकसित होते हैं जब उम्र बढ़ने की वजह से या चोट के कारण आंख की लेंस को बनाने वाले उत्तकों (Tissues) में परिवर्तन आता है. लेंस में मौजूद प्रोटीन और फाइबर टूटने लगते हैं. ऐसा होने पर नजर धुंधली हो जाती है. आमतौर पर मोतियाबिंद दोनों आंखों में होता है, लेकिन यह दोनों आंखों को बराबर प्रभावित करे, यह जरूरी नहीं. कुछ लोगों में माता-पिता से जीन के रूप में उन्हें कुछ विकार मिलते हैं. इन जेनेटिक समस्याओं के कारण उनमें मोतियाबिंद का खतरा बढ़ सकता है. यही नहीं आंख से संबंधित दूसरी समस्याओं की वजह से भी मोतियाबिंद हो सकता है. पूर्व में हुई आंख की किसी सर्जरी या डायबिटीज जैसी मेडिकल कंडीशन के कारण भी मोतियाबिंद हो सकता है. लंबे समय तक स्टेरॉयड (Steroid) दवाओं के सेवन के कारण भी मोतियाबिंद हो सकता है.

मोतियाबिंद का इलाज

मोतियाबिंद का कोई इलाज मौजूद नहीं है. इसका एकमात्र इलाज ऑपरेशन यानी सर्जरी ही है. सर्जरी करके मोतियाबिंद को निकालकर मरीज का लेंस बदल दिया जाता है. प्रश्न ये है कि आपको मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए कब विचार करना चाहिए. ज्यादातर डॉक्टर मोतियाबिंद की शुरुआत में ही इसकी सर्जरी कराने की सलाह देते हैं, ताकि व्यक्ति के क्वालिटी ऑफ लाइफ पर कोई असर न पड़े. India.com से ताजा अपडेट पाने के लिए हमारे Whatsapp चैनल को सब्स्क्राइब करें. यहां और अपनी मनपसंद अपडेट पाएं.

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