युवाओं की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी काउंसिलिंग के लिए धैर्य व दूरदृष्टि होना जरूरी

लखनऊ, शिक्षकों की प्रेरणा व उचित काउंसिलिंग युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को न केवल बेहतर बना सकती है बल्कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने व कुछ बनने में मदद कर सकती है।
सिफ्सा द्वारा वित्त पोषित परियोजना हेल्थ प्रमोशन फोकसिंग मेंटल हेल्थ एंड लाइफ स्किल एमंग यूथ आफ 35 डिग्री कालेजज आफ उत्तर प्रदेश, के तहत पियर एजुकेटर द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन हेतु शिक्षकों के क्षमता निर्धारण के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) कार्यक्रम का गुरुवार को उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक व सिफ्सा की अधिशासी निदेशक डा. पिंकी जोवल ने कहा कि शिक्षकों व छात्रों के बीच खुले संवाद व आपसी विश्वास का होना आवश्यक है। यह परियोजना प्रदेश के 17 मण्डलीय जनपदों के चयनित डिग्री कालेज /विश्वविद्यालयों में चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि आपसी विश्वास से छात्रों द्वारा शेयर की गयी बातों की गपनीयता बनी रहेगी। साथ ही छात्रों की काउंसिलिंग करते समय सामनुभूति होनी चाहिए। जहां परिपक्व लोगों को कई तरह का सहारा मिलता वहीं युवाओं के साथ यह नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हमारी पीढ़ी संयुक्त परिवारों में पली बढ़ी है जहां उसे संबंल देने के लिए तमाम लोग होते थे पर आजकल के युवाओं के साथ यह नहीं है।


डा. जोवल ने कहा कि आज का वातावरण बदल गया है और इसीलिए हम लोगों की जिम्मेदारी है कि युवाओंके मानसिक तौर पर स्वस्थ बनाएं। विजुअल और वीडियो को समझाने का बेहतर माध्यम बताते हे उन्होंने कई लोकप्रिय फिल्मों व टेली सीरियलों के उदाहरण दिए जिन्होंने युवाओंही नहीं बल्कि बड़ों के दिमाग पर गहरा असर डाला है। उनका कहना था कि आज इंटरनेट के दौर में सूचनाओं की भरमार है पर हमें युवाओंको उनके सही इस्तेमाल के बारे में बताना होगा।

उल्लेखनीय है कि व्यक्ति के स्वास्थ्य में मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण घटक है। उत्तर प्रदेश के युवा राज्य के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य उनकी व्यक्तिगत सफलता और हमारे समाज की सामूहिक समृद्धि का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। युवावस्था में जैविक, मनोवैज्ञानिक और गंभीर सामाजिक परिवर्तनों के कारण युवा मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य के मुददों के लिए जागरूकता फैलाने तथा अनुकूल वातावरण विकसित करना है।

 

सिफ्सा की डा रिंकू श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रशिक्षण के उपरान्त अपने काॅलेज में पियर एजूकेटर प्रशिक्षण एक सतत गतिविधि के रूप में सम्पन्न किया जायेगा। जिससे कि प्रशिक्षित पियर एजूकेटर अन्य छात्र-छात्राओं से मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर चर्चा कर शिक्षकों एवं युवाओं के मध्य एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप कार्य करेंगे। वर्ष 2022-23 में राज्य स्तर पर 35 डिग्री कालेज/यूनिवर्सिटी के वी0सी0/प्रिंसिपल द्वारा नामित एवं 18 मण्डल के मण्डलीय परियोजना प्रबन्धक, एन0एच0एम0/सिफ्सा हेतु एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला एवं नामित फ ेकेल्टी एवं डिस्ट्रीक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम (डी0एम0एच0पी0 टीम के सदस्यों का दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया, जिसमें कुल 226 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया।
पियर एजूकेटर के मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन हेतु शिक्षकों का क्षमता निर्माण के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टी.ओ.टी.) आयोजित किया जा रहा है।

दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन सिफ्सा, केजीएमयू, एनएचएम, डिस्ट्रिक मेंटल हेल्थ प्रोग्राम व य़ूनीसेफ के अधिकारियों ने विभिन्न विषयों पर जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश के कई जिलों के 27 डिग्री कालेजों व विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने हिस्सा लिया। सिफ्सा द्वारा वित्त पोषित परियोजना के तहत चलाए जा रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए जागरुकता फैलाने व अनुकूल वातावरण विकसित करना है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षक अपने कालेजों व विश्वविद्यालयों में पियर एजुकेटर प्रशिक्षण एक सतत गतिविधि के रुप में संपन्न कराएंगे।

गुरुवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के प्रोफेसर सुजीत कुमार कार ने पहले भाग ले रहे शिक्षकों से संवाद कर युवाओं के सामने आ रही प्रमुख समस्याओं को जाना। उसके बाद अपने प्रस्तुतिकरण में उन्होंने संवाद का महत्ता को विभिन्न आयामों के साथ समझाया। केजीएमयू की डा. अंकिता सरोज व प्रोफेसर सुजीत कुमार कार ने प्रभावी संवाद की जरुरत और उसके तरीके समझाए

स्टेट नोडल मेंटल हेल्थ डा. एके श्रीवास्तव ने जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में विस्तारपूर्वक प्रतिभागियों को बताया। यूनीसेफ के दया सिंह व दानिश खान ने सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन व उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में बताया। कार्यशाला का संचालन यूनीसेफ के सलाहकार डा. आशीष कुमार एवं सिफ्सा की मीनू शुक्ला ने किया।

Related Posts