संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 131वीं जयंती पर जानिए उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

नई दिल्ली, आज पूरा देश संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 131वीं जयंती मना रहा है।14 अप्रैल 1891 को जन्मे बाबा साहेब को विद्वान, समाज सुधारक और दलितों के मसीहा के तौर पर जाना जाता है. बाबा साहेब अंबेडकर का नाम जब कभी भी आता है तो आरक्षण को लेकर उनकी ओर से उठाए गए कदम की हमेशा बात की जाती है. कहा जाता है कि भीमराव अंडेबकर के नाम के आगे पहले अंबेडकर नहीं लगा था. उनके नाम के साथ अंबेडकर जुड़ने को लेकर एक स्कूल का किस्सा है।

 

बता दें कि बाबा साहब पढ़ने-लिखने में बहुत तेज थे. उनकी इसी खूबी के कारण स्कूल के सभी शिक्षक उनकी तारीफ किया करते थे. सभी शिक्षकों में से एक शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडर को उनसे खासा स्नेह था. कृष्णा महादेव आंबेडर ने अपने इसी खास स्नेह के कारण बाबा साहेब के नाम के साथ अंबेडकर जोड़ दिया. इसके बाद से उन्हें स्कूल में भीमराव अंबेडकर कहा जाने लगा. स्कूल के समय से ही लोग उन्हें अंबेउकर उपनाम से पुकारने लगे थे।

आइए आपको बताते हैं भीमराव अंबेडकर से जुड़ी अन्य बाते।

  1. क्या आप जानते हैं कि भारत में काम के 8 घंटे किसने तय किए. अगर नहीं तो हम बता दें कि भारतीय श्रम सम्मेलन के 7वें सत्र में बाबा साहेब ने भारत में काम के घंटों की संख्या को 14 से घटाकर 8 घंटे कर दिया था. कहा जाता है कि अगर बाबा साहेब न होते तो भारत में हर व्यक्ति को औसतन 14 घंटे काम करना होता.
  2. बाबा साहेब अंबेडकर ने साल 1955 में देखा कि मध्य प्रदेश और बिहार के राज्य काफी बड़े हैं, जिसके कारण उनके शासन में दिक्कत आ रही है. बेहतर शासन के लिए उन्होंने मध्य प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों के विभाजन की बात कही. बाबा साहेब के सुझाव के 45 साल बाद इन राज्यों का विभाजन हुआ और छत्तीसगढ़ और झारखंड बनाया गया.
  3. बाबा साहेब का शुरुआती नाम भीमराव था. स्कूल के शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडर को उनसे खासा स्नेह था. कृष्णा महादेव आंबेडर ने अपने इसी खास स्नेह के कारण बाबा साहेब के नाम के साथ अंबेडकर जोड़ दिया.
  4. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में अपनी अहम भूमिका निभाई थी. साल 1935 में जब भारतीय रिजर्व के गठन के दौरान बाबा साहेब ने बैंक की स्थापना के लिए काफी काम किया.
  5. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने भारत में विशाल बांधों की तकनीक विकसित करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी. बताया जाता है कि हीराकुंड, दामोदर और सोन नदी बांध परियोजनाओं को शुरू करने में बाबा साहेब ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
  6. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की आत्मकथा, ‘वेटिंग फॉर ए वीजा’ को कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाता है. बता दें कि बाबा साहेब ने अपनी आत्मकथा साल 1935 के दौरान लिखी थी.
  7. राष्ट्रीय रोजगार विनिमय एजेंसी बनाने में भी बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की अहम भूमिका रही. अंबेडकर ने जिस समय इसकी नींव रखी उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें भविष्य की परेशानियों को लेकर पहले से पता था.
  8. बाबा भीमराव अंबेडकर के मार्ग दर्शन पर चलने की सीख भले ही सभी पार्टियों के नेता देते हो लेकिन खुद अंबेडकर कभी राजनीति में सफल नहीं हो सके. अंबेडकर ने साल 1952 में बॉम्बे नॉर्थ से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार नारायण काजरोलकर ने हराया था.
  9. बाबा भीमराव अंबेडकर शुरू से ही जम्मू कश्मीर में लागू आर्टिकल 370 के विरोधी थे. वह कभी नहीं चाहते थे कश्मीर में विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए.

Related Posts