नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 56 वकीलों को सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया और इनमें से 20 प्रतिशत महिला वकील हैं. यह पहला मौका है जब एक साथ 11 महिला अधिवक्ताओं को वरिष्ठ पदनाम दिया गया है.
इसे भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा एक बड़े लैंगिक प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने हमेशा न्यायपालिका में अधिक महिलाओं को शामिल करने की वकालत की है.
वकील शोभा गुप्ता, जिन्होंने बिलकिस बानो और अन्य महिलाओं से संबंधित मुद्दों की ओर से मामले उठाए हैं, उन वकीलों में से एक हैं जिन्हें वरिष्ठ वकील का पद मिला है. 1984 के भोपाल गैस रिसाव मामले के पीड़ितों की ओर से मुकदमा लड़ने वाली करुणा नंदी को भी वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया है.
स्वरूपमा चतुर्वेदी, लिज मैथ्यू, निशा बागची, अर्चना पाठक दवे, उत्तरा बब्बर, हरिप्रिया पद्मनाभन, शिरीन खजूरिया, एनएस नप्पिनई और एस जनानी को भी वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया है. दिलचस्प बात यह है कि 56 अधिवक्ताओं में से 34 पहली पीढ़ी के वकील हैं.
बता दें कि अब तक सुप्रीम कोर्ट ने केवल 14 महिलाओं को वरिष्ठ वकील का पद दिया है, जिनमें दो रिटायर जज भी शामिल हैं. वरिष्ठ के रूप में नामित किए गए पहले वकील न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा थे, जो बाद में सुप्रीम कोर्ट के जज बने और फिर रिटायर हो गए.
2019 में छह महिला अधिवक्ताओं को प्रमोट किया गया था. वरिष्ठ पदनाम पाने वालों में तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता अमित आनंद तिवारी, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता अर्धेन्दुमौली कुमार प्रसाद और मध्य प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता सौरभ मिश्रा शामिल हैं.
कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता निखिल गोयल और कर्नाटक के पूर्व स्थायी वकील जोसेफ अरस्तू और कई मामलों में न्याय मित्र के रूप में काम करने वाले वकील गौरव अग्रवाल और सुनील फर्नांडीस को भी वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया है.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच वर्ष बाद वरिष्ठ पदनाम दिया है. 282 अधिवक्ताओं ने वरिष्ठ पदनाम के लिए आवेदन किया था, जिनमें से 200 वकीलों को साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था. फुल कोर्ट ने शुक्रवार को चयनित 56 नामों को मंजूरी दे दी.