भिखारियों, घुमंतू जाति और पुनर्वास केंद्रों में रहने वाले लोगों के टीकाकरण के लिए होगा विशेष प्रबंध

नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भिखारियों, घुमंतू जाति और पुनर्वास केंद्रों में रहने वाले लोगों के टीकाकरण के लिए विशेष प्रबंध करने को कहा है। टीकाकरण के जरूरी दस्तावेजों से वंचित इन लोगों के टीकाकरण के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय छह मई को ही दिशानिर्देश जारी कर चुका है।

स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासनिक अधिकारियों को लिखे पत्र में छह मई के पत्र का उल्लेख करते हुए भिखारियों, घुमंतू जाति और पुनर्वास केंद्रों में रहने वालों के जल्द से जल्द टीकाकरण करने की जरूरत बताई।

उन्होंने कहा कि ये वो लोग है कि जो न तो पंजीकरण करा सकते हैं और न ही उनके पास इसके लिए जरूरी दस्तावेज हैं। ऐसे में इन लोगों का टीकाकरण से छूट जाना खतरनाक हो सकता है।

भूषण ने कहा है कि ऐसे लोगों का टीकाकरण बिना किसी दस्तावेज के भी किया जाना चाहिए। उनके अनुसार इसके लिए राज्य सरकारें एनजीओ व अन्य सामाजिक संस्थाओं की मदद ले सकती हैं। लेकिन टीकाकरण के बाद सरकार को उनका रिकार्ड रखना जरूरी होगा और इसकी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजना होगा, ताकि उसे कोविन पोर्टल पर अपडेट किया जा सके।

बच्चों पर कोवैक्सीन के ट्रायल के लिए दूसरी डोज देने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसके साथ ही बच्चों के लिए टीका जल्द आने की उम्मीद बढ़ गई है। देश के छह अस्पतालों में 525 बच्चों पर यह ट्रायल चल रहा है। ट्रायल के तहत बच्चों को तीन उम्र वर्गों में बांटा गया है। ये वर्ग 12 से 18, छह से 12 व दो से छह हैं। मई के अंतिम सप्ताह में इसकी प्रक्रिया शुरू हुई थी। एम्स में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय के नेतृत्व में नौ जून को ट्रायल शुरू हुआ था। ट्रायल के दौरान पहले किशोरों को वैक्सीन लगातर सुरक्षा का आकलन किया गया था। उसके बाद छह से 12 साल की आयु वर्ग के बच्चों और आखिर में दो से छह साल के बच्चों को खुराक दी गई। गुरुवार को एम्स में दो से छह साल की उम्र के बच्चों को दूसरी डोज दी गई। अब अगस्त के अंत या सितंबर महीने के मध्य तक ट्रायल की अंतरिम रिपोर्ट आ सकती है। हालांकि, अंतिम रिपोर्ट के लिए थोड़ा और इंतेजार करना होगा, लेकिन अंतरिम रिपोर्ट से पता चल सकेगा कि टीका बच्चों के लिए कितना सुरक्षित है। इसके बाद उनके लिए टीके का इमरजेंसी इस्तेमाल शुरू किया जा सकता है।

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