



नई दिल्ली: हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली चुनाव में जिसने सबसे अहम भूमिका निभाई है उसी को लेकर आज यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र की मोदी सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी की टेंशन बढ़ना तय माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं की घोषणा करने की प्रथा पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि लोग अब काम करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन और पैसा मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त उपहारों पर कड़ी टिप्पणी की है।
सुप्रीम कोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी
जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों के आश्रय के अधिकार से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस गवई ने कहा कि दुर्भाग्य से इन मुफ्त योजनाओं के कारण लोग काम करने को तैयार नहीं हैं। उन्हें बिना काम किए मुफ्त राशन और पैसा मिल रहा है। पीठ ने यह भी कहा कि सरकार को लोगों को मुख्यधारा में शामिल होने और राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
क्या बोला सर्वोच्च न्यायालय
पीठ ने कहा, ‘हम उनके (बेघर लोगों) लिए आपकी चिंता की सराहना करते हैं लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उन्हें समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनाया जाए और उन्हें देश के विकास में योगदान करने दिया जाए।’
मुफ्तखोरी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
- राष्ट्र के विकास में योगदान देकर उन्हें मुख्यधारा के समाज का हिस्सा बनाने के बजाय क्या हम परजीवियों का एक वर्ग नहीं बना रहे हैं?
- दुर्भाग्य से, चुनाव से ठीक पहले घोषित की जाने वाली इन मुफ्त सुविधाओं के कारण… कोई लाडली बहना, कोई अन्य योजना। इसके कारण लोग काम करने को तैयार नहीं हैं।
- उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है।
- उन्हें बिना काम किए कुछ राशि मिल रही है।
- क्या उन्हें मुख्यधारा के समाज का हिस्सा बनाना बेहतर नहीं होगा।
- उन्हें राष्ट्र के विकास में योगदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
केंद्र सरकार से पूछा सवाल
केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। इस मिशन में शहरी बेघर लोगों के लिए आश्रय प्रदान करने सहित विभिन्न मुद्दों का समाधान शामिल होगा। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से यह सत्यापित करने को कहा कि सरकार इस मिशन को कब तक लागू करेगी।
इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ एक मामले में मुफ्त सुविधाओं का मुद्दा उठाया था। सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वह याचिका चुनाव के दौरान मुफ्त सुविधाओं की घोषणा के खिलाफ थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि वह चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह सुनिश्चित करे कि राजनीतिक दल चुनाव से पहले मुफ्त सुविधाओं का वादा न करें।
छह हफ्ते बाद होगी अगली सुनवाई
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। इसका उद्देश्य शहरी बेघरों के लिए आश्रय समेत प्रमुख मुद्दों का समाधान करना है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें बताएं कि यह मिशन कब तक अंतिम रूप ले लेगा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद तय की है।