भारत के EV उद्योग के भविष्य को खतरे में, जानिए चीन ने किस चीज पर लगाई पाबंदी कि EV उद्योग में मच गया हाहाकार

नई दिल्ली, भारत में पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की पॉपुलैरिटी बहुत तेजी से बढ़ी है. कई कंपनियों की इसी लोकप्रियता का लाभ उठाने के लिए कई नए-नए प्रोडक्ट लॉन्च किए और उद्योग के हिसाब से बुनियादी ढांचे को विकसित करने का काम किया.

लेकिन अब चीन ने भारत के EV उद्योग के भविष्य को खतरे में डाल दिया है. दरअसल, चीन ने दुर्लभ चुम्बक के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस तरह के कदम से न केवल उत्पादन, बल्कि भारत में पूरे EV उद्योग को नुकसान हो सकता है.

अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, पिछले साल दुर्लभ पृथ्वी खदान उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 69% थी. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक, चार चुंबकीय दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Nd, Pr, Dy, Tb) की वैश्विक आपूर्ति में चीन की हिस्सेदारी 90% से ज्यादा है. इन तत्वों का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहन की मोटरों के लिए स्थायी चुंबक बनाने के लिए किया जाता है. इसमें नियोडिमियम, प्रेजोडियम, डिस्प्रोसियम और टेरबियम शामिल हैं.

कौन से गाड़ी में कितनी इस्तेमाल होती हैं ये चुंबकें

पेट्रोल-डीजल से चलने वाले इंटरनल कम्बशन इंजन बनाने में इन एलिमेंट का इस्तेमाल 140 ग्राम होता है, जबकि एक मोटर-बैटरी कॉम्बो वाला इलेक्ट्रिक वाहन बनाने में इन एलिमेंट का इस्तेमाल लगभग 550 ग्राम होता है. इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए महत्वपूर्ण घटक होने के अलावा इन चुम्बकों का उपयोग पावर विंडो और ऑडियो स्पीकर बनाने के लिए भी किया जाता है.

प्रधानमंत्री से लगाई गुहार

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है और हुंडई, मारुति सुजुकी, फॉक्सवैगन और अन्य कई कार निर्माताओं के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब है. अगर चीन का ये प्रतिबंध जारी रहता है, तो अगले कुछ दिनों में भारतीय मोटर वाहन निर्माण क्षेत्र ठप हो सकता है. वाहन निर्माताओं के संगठन SIAM ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है और समाधान की तलाश कर रहा है. इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की भी मांग की जा रही है.

कब तक ठप हो सकता है प्रोडक्शन

बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज ने भी एक इंटरव्यू के दौरान चीन के प्रतिबंध से भारतीय ऑटो सेक्टर के लिए गंभीर चिंता की बात को स्वीकार किया है. SIAM ने 19 मई को मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स के अधिकारियों की मौजूदगी में आयोजित एक बैठक में कहा है कि मई के अंत या जून की शुरुआत से ऑटो उद्योग का उत्पादन पूरी तरह से ठप्प हो जाने की उम्मीद है.

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